जालौन

रामलीला महोत्सव  में लक्ष्मणशक्ति व कालनेम की माया का हुआ मंचन

बबलू सेंगर महिया खास

जालौन। रामलीला महोत्सव 2025 में लक्ष्मणशक्ति व कालनेम की माया का मंचन किया गया। जिसमें हनुमान-मेघनाद संवाद, लक्ष्मण मेघनाद संवाद के अलावा कालनेम की माया का से दर्शक प्रभावित हुए। लक्ष्मण शक्ति की लीला को लेकर दर्शकों अच्छा उत्साह दिखा।
रामलीला महोत्सव का मंचन नगर के गोविंदेश्वर मंदिर के पास किया जा रहा है। लीला की शुरूआत में श्रीराम ने लंका पर आक्रमण किए जाने की योजना बनाई गई। सभी वानरों ने लंका को चारों ओर से घेर लिया तभी रावण की आज्ञा पाकर मेघनाद युद्ध के लिए आया। युद्ध के मैदान में हनुमानजी और मेघनाद के बीच संवाद होता है। बाद में लक्ष्मण के आने के बाद मेघनाद व लक्ष्मण संवाद प्रारंभ हो जाता है। अंत में मेघनाद, लक्ष्मण पर ब्रहमास्त्र का प्रयोग करता है। जिसमें लक्ष्मण मूर्छित होकर जमीन पर गिर जाते हैं। हनुमानजी उन्हें वहां से उठाकर रामादल में ले आते हैं। जहाँ प्रभु राम, लक्ष्मणजी की हालत को देखकर बिलख-बिलख कर रो पड़ते हैं। रामजी का विलाप सुनकर दर्शक भी अपने आंसू नहीं रोक सके। इसी बीच सुखेन वैद्य संजीवनी बूटी द्वारा ही लक्ष्मणजी के उपचार करने की युक्ति बताने के साथ ही कहते हैं यदि सूर्यादय से पूर्व संजीवनी बूटी नहीं आई तो लक्ष्मणजी के प्राण बचाना असंभव होगा। उसी समय तत्काल हनुमानजी संजीवनी बूटी लाने के लिए चले जाते हैं। रास्ते में कालनेम राक्षस माया फैलाकर हनुमानजी का रास्ता रोकने का प्रयास करता है। वहीं कालनेम स्वयं एक साधु का रूप धारण कर हनुमान जी से गुरूमंत्र लिए जाने को कहता है। तभी तालाब में स्नान करने गए हनुमानजी को एक मछली कालनेम की माया के बारे में बता देती है। तब हनुमान जी कालनेम की माया को समाप्त करते हैं और सुखेन वैद्य द्वारा बताए गए पर्वत पर संजीवनी बूटी लाने के लिए पहुंचते हैं। परंतु जब वह पर्वत पर विविध प्रकार की बूटियों में संजीवनी बूटी को पहचान नहीं पाते हैं तो वह पूरा पर्वत लेकर रामादल की ओर चल देते हैं। वहीं बीच में जब हनुमान जी पर्वत लेकर अयोध्या के ऊपर से गुजरते हैं तो भरत ने उन्हें कोई राक्षस समझकर एक ही वाण से घायलकर जमीन पर गिरा दिया। अंत में हनुमानजी भरत को पूरी कथा बताकर रामादल पहुंचते हैं। जहां सुखेन वैद्य संजीवनी बूटी से लक्ष्मण का उपचार करते हैं। लीला में राम की भूमिका मनोज तिवारी, लक्ष्मण शीपू पारासर, हनुमानजी रमेश दुबे, कालनेम प्रयाग गुरु, सुग्रीव श्याम जादौन, रावण उमेश दुबे, सुखेन वैद्य बृजेश शर्मा, मेघनाथ की भूमिका भानू शर्मा ने निभाई। लीला का संचालन पवन चतुर्वेदी व राजकुमार मिझौना ने किया।

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