
बबलू सेंगर महिया खास
जालौन(उरई)। केंद्र सरकार की मजदूर, किसान, कर्मचारी एवं आमजन विरोधी नीतियों के खिलाफ संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा ने नाराजगी जताई है। इसी को लेकर यूनियन प्रतिनिधियों ने एसडीएम विनय मौर्य को राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा। जिसमें केंद्र सरकार से श्रमिकों, कर्मचारियों, किसानों व आमजन के हित में तत्काल नीतिगत बदलाव करने की मांग की गई है।
संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा के कामरेड आशाराम, खलील, शिवबालक, संजीव कुमार, काशीराम, सुरेंद्र कुमार, दीपू, रविंद्र आदि ने बुधवार को राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन एसडीएम विनय मौर्य को सौंपकर बताया कि वर्तमान में केन्द्र सरकार की नीतियां किसानों, श्रमिकों, कर्मचारियों और गरीब तबके के लोगों के विरुद्ध कार्य कर रही हैं, जिससे जनता में असंतोष व्याप्त है। यूनियन ने कहा कि इन नीतियों से न केवल श्रमिकों का अधिकार छीना जा रहा है, बल्कि सामाजिक सुरक्षा, रोजगार की स्थिरता और सम्मानजनक जीवन जीने के अवसर भी खत्म हो रहे हैं। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में न्यूनतम वेतन समिति का गठन किया जाए और न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रतिमाह से कम न हो। श्रमिकों के विरोध के बावजूद लागू की गई चारों श्रम संहिताएं रद्द की जाएं और प्रदेश में श्रम कानूनों का पूरी तरह से पालन सुनिश्चित कराया जाए। देश में संविदा नीति को समाप्त किया जाए और सभी को स्थायी रोजगार की गारंटी दी जाए। पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू किया जाए और शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली जैसे आवश्यक सेवाओं के निजीकरण पर रोक लगाई जाए। स्कीम वर्कर्स को राज्य कर्मचारी घोषित किया जाए और नियमित प्रकृति के कार्यों पर तैनात संविदा, आउटसोर्स अथवा ठेका श्रमिकों को भी समान वेतन की सुविधा दी जाए। घरेलू कामगारों और घर से काम करने वाले व्यक्तियों को भी श्रमिक का दर्जा दिया जाए और उनके लिए एक पृथक बोर्ड का गठन किया जाए। साथ ही, रेलवे, बैंक और बीमा जैसे प्रतिष्ठानों में कार्यरत आउटसोर्स एवं संविदा श्रमिकों को भी केंद्र सरकार की ओर से न्यूनतम वेतन, ईएसआई और भविष्य निधि योजना का लाभ दिया जाए। उन्होंने पंजीकृत श्रमिकों को आयुष्मान कार्ड उपलब्ध कराने की भी मांग की है।