बबलू सिंह सेंगर महिया खास
जालौन(उरई)। कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय गूढा की छात्राओं ने स्टाफ पर शोषण करने व घटिया खाना देने का आरोप लगाया था। छात्राओं द्वारा लगाये आरोप के बाद जिला समन्वयक ने मौके पर पहुंच कर जांच की थी। जांच होने के 3 माह बाद दोषियों के खिलाफ नहीं हुई कार्रवाई।
निर्धन परिवार के होनहार छात्राओं को बेहतर शिक्षा देने के लिए सरकार द्वारा ब्लाक स्तर पर कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय गूढा संचालित किया जा रहा है। विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं रेश्मा, संध्या, मुस्कान व मोहनी ने रसोईया गुड्डी देवी, प्रीति, वंदना, सावित्री चैकीदार सुनील पाल पर शोषण करने तथा घटिया खाना व बासा भोजन देने का आरोप लगाया था। छात्राओं का आरोप है कि ये कर्मचारी उनसे स्कूल में जबरन काम कराते हैं तथा पानी भरने के लिए मजबूर करती है। इसके साथ ही छात्राओं ने विद्यालय कर्मचारियों पर शोषण करने का आरोप लगाते हुए कि उन्होंने इसकी शिकायत स्कूल के स्टाफ से भी की। शिकायत के बाद शिक्षिकाएं उन्हें ही डाट कर चुप करा देती थी। छात्राओं द्वारा लगाये आरोपों की हकीकत जानने जिला समन्वयक विश्वनाथ द्विवेदी ने 19 अप्रैल को विद्यालय जाकर निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान पंखा, राशन सामग्री और पाठ्य सामग्री वार्डन साधना निरंजन के कक्ष में मिली। इस बारे में पूछने पर वार्डन कोई संतोष जनक जवाब नहीं दे सकी। छात्रों ने आरोप लगाया कि स्टाफ के व्यवहार से उनमें डर और तनाव का माहौल है।जिला समन्वयक ने बताया कि पूछताछ में फुलटाइम टीचर वंदना और प्रीति विश्वकर्मा ने वार्डन पर बदसलूकी का आरोप लगाया है।जिला समन्वयक ने अपनी जांच रिपोर्ट जिला बेसिक अधिकारी को सौंप दी है। जांच रिपोर्ट के आधार पर विद्यालय की वार्डन समेत कई कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई होना तय थी । कार्यवाही की जद में कौन कौन कर्मचारी हैं यह तो अभी स्पष्ट नहीं है फिर भी विद्यालय के सफल संचालन व गुटबाजी को समाप्त कराने के लिए कठोर निर्णय लिया जाना आवश्यक था। इसके बाद भी जिम्मेदारों ने जांच रिपोर्ट के आने के 3 माह बीत जाने के बाद भी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। बेसिक शिक्षा विभाग की दोषियों को बचाने की कार्यप्रणाली लोगों में चर्चा का विषय बनी हुई है । जिला समन्वयक विश्वनाथ दुबे ने बताया कि उन्होंने जांच रिपोर्ट बी एस ए को अप्रैल में सौंप दी थी। कार्यवाही करना उनके अधिकार में नहीं है