कोंच

वागीश्वरी साहित्य परिषद् की काव्य गोष्ठी संपन्न

कोंच(जालौन)। वागीश्वरी साहित्य परिषद् की मासिक गोष्ठी गुप्तेश्वर मंदिर में नंदराम भावुक की अध्यक्षता एवं आशाराम मिश्रा के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुई। संचालन सुनीलकांत तिवारी ने किया। मां वीणापाणि की अर्चना से प्रारंभ हुई गोष्ठी में संतोष तिवारी ने वाणी वंदना पढी।
जाने माने साहित्यकार राजेंद्र सिंह गहलौत रसिक ने वर्तमान परिवेश को रेखांकित करते हुए रचना पाठ किया, ‘जमीं पे जो गिरे हैं उन्हें उठाया जाए, किसी बेबस को फिर गले लगाया जाए, हर जगह ऐसे भी खुल जाएं मदरसे यारो, जहां इंसानियत का पाठ पढाया जाए।‘ ओंकार नाथ पाठक ने व्यंग्य पढा, ‘जींस पहनकर बहू मार्केट चली तो सासू बोली क्या जमाना है, सुनकर बहू बोली, कुछ नहीं सासू मां बस दही जमाना है।‘ गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे नंदराम भावुक ने व्यक्ति के जीवन की अनिश्चितता को लेकर अपनी बात कही, ‘आए कहां से हम सभी ये तो किसी को पता नहीं, जाएंगे कहां ये भी नहीं जानते।‘ मुन्ना लाल अग्रवाल ने रचना पाठ किया, ‘सरे सम्मान होते जिनके एकांत में प्लान बनते उनके, यारो उनकी बात न पूछो इशारे पर कत्लेआम हो रहे जिनके।‘ मोहनदास नगाइच ने आध्यात्मिक रचना बांची, ‘ये पर्वत नहीं है कामद स्वमेव राम हैं, चिंता हरण करेंगे उसकी जो भी सिर झुकाएगा।‘ संतोष तिवारी सरल ने कहा, ‘अंधकारों से नहीं घबराइए रोशनी की जंग लड़ते जाइए, क्या हुआ जो वक्त ज्यादा लग रहा हौसले से ही इसे हराइए।‘ अमरसिंह यादव ने रचना पाठ किया, ‘अपनी जिंदगी सभी जीते हैं जीने की राह कोई बताता नहीं, अपने गीत सभी गाते हैं प्रीत के गीत कोई सुनाता नहीं।‘ आशाराम मिश्रा ने भी उम्दा कविता पढी। इस दौरान चंद्रशेखर नगाइच मंजू, देवेंद्र यादव, दुर्गेश शुक्ला, नारायणदास स्वर्णकार, कन्हैया गोस्वामी, लक्ष्मीनारायण पुजारी, नंदकिशोर, कृष्ण कुमार बिलइया, राजू रेजा आदि मौजूद रहे।

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