ब्लॉक मिशन मैनेजर का समूह की महिलाओं को धमकी भरा फरमान पुराना ग्राम संगठन छोड़ के नए ग्राम संगठन में जुड़ जाओ, अन्यथा चैक पर नहीं होंगे साइन
अमित गुप्ता
कालपी जालौन कालपी तहसील के महेवा ब्लाक प्रदेश की वर्तमान योगी सरकार एक ओर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के आजीविका मिशन के बड़े-बड़े दावे कर रही है तो वहीं दूसरी ओर उसी सरकार की ही इसी आजीविका मिशन के कुछ कर्मचारी अपने फरमान के आगे सरकार के इस मिशन को पलीता लगा रहे हैं और सरकार भी इन कर्मचारियों के आगे नतमस्तक होती नजर आ रही है ।मामला महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ा हुआ है जो कि जिला जालौन की कालपी तहसील के महेबा ब्लाक के मुसमरिया कलस्टर के ग्राम सरसई का है ।इस संम्बंन्ध में ग्राम सरसई की समूह सखी नीलम देवी कुशवाहा का कहना है कि हमारे ग्राम सरसई में सबसे पहले सन् 2018 में अवतार मेहेर बाबा स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया था ।यह समूह ,ग्राम सरसई का सबसे पुराना महिला स्वयं सहायता समूह है। इस समूह के गठन के बाद ग्राम सरसई में आठ और समूहों का गठन किया गया। कुल मिलाकर जब नौ समूह हो गए तब ग्राम सरसई में एक ग्राम संगठन का गठन किया गया जिसका नाम “”जय हिन्द महिला ग्राम संगठन”” रखा गया और इस ग्राम संगठन में सभी नौ समूहों को जोड़ दिया गया ।समूह सखी ने बताया कि जब उनके गांव में एक भी महिला स्वयं सहायता समूह नहीं था तब सरकार की तरफ से सीआरपी की टीम समूह का गठन करने के लिए सरसई आई थी ।जब सबसे पहले उनके समूह का गठन हुआ तब समूह की महिलाओं को यह बताया गया था कि समूह एक स्वतंत्र इकाई है। समूह की महिलाएं सर्वसम्मति से जो निर्णय लेंगीं वही निर्णय माना जाएगा ।समूह की महिलाएं, समूह से जुड़ी हुई महिला को ऋण के रूप में पैसा देने के लिए स्वतन्त्र होंगीं और उन्हीं महिलाओं को समूह की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लेना होगा कि किस महिला को कितना पैसा समूह से ऋण के रूप में देना है ।समूह सखी का कहना है कि अब ब्लॉक मिशन मैनेजर माता प्रसाद यादव ने उनके ग्राम के समूहों के कार्यक्षेत्र बैंक (आर्यावर्त बैंक चुर्खी) के बैंक प्रबंधक को लिखित आदेश कर दिया है कि दस हजार रुपए तक की चैक के प्रस्ताव पर बैंक सखी के साइन होंगे और दस हजार रूपए से ऊपर की चैक के प्रस्ताव पर स्वयं ब्लॉक मिशन मैनेजर के साइन होंगे। बिना बैंक सखी या ब्लाक मिशन मैनेजर के साइन के कोई चैक भुगतान के लिए मान्य नहीं होगी। ब्लॉक मिशन मैनेजर के इस लिखित आदेश के बाद अब समूह की महिलाओं को खुली बैठक में ऋण के रूप में पैसा देने के प्रस्ताव का कोई मतलब नहीं रह गया है क्योंकि अगर किसी समूह की महिलाओं को समूह से ऋण के रूप में पैसा लेने की चैक मिल भी जाती है तो भी उस चैक का भुगतान नहीं होगा ।चैक के भुगतान के लिए उस समूह की महिलाओं को बैंक सखी या ब्लॉक मिशन मैनेजर के चक्कर काटने होंगे ।समूह सखी ने बताया कि अब उनके ग्राम में आठ और दूसरे नये समूहों का गठन हो चुका है ।इनमें से कुछ समूह चालू हालत में हैं और कुछ अर्धचालू हालत में हैं । इन समूहों के संचालन के लिए सरकार द्वारा दूसरी समूह सखी की नियुक्ति की जा चुकी है ।इन समूहों को मिलाकर एक नया ग्राम संगठन बना है ।लेकिन हमारे ब्लॉक मिशन मैनेजर माता प्रसाद यादव पुराने ग्राम संगठन के समूह की महिलाओं को अपना हिटलर शाही फरमान सुना रहे हैं कि अगर पुराना ग्राम संगठन छोड़ कर नए ग्राम संगठन में नहीं जुड़ीं तो तुम्हारी चैक पर साइन नहीं होंगे। यह है समूह की वेबस, गरीब महिलाओं के उत्पीड़न की असल कहानी।