अनुराग श्रीवास्तव के साथ बबलू सिंह सेंगर महिया खास
जालौन (उरई)। जीव परमात्मा का अंश है, इसलिए जीव के अंदर अपारशक्ति रहती है यदि कोई कमी रहती है, वह मात्र संकल्प की होती है। संकल्प व कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे। यह बात मोहल्ला काशीनाथ में आयोजित भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ में कथावाचक पं. सुरेंद्रनाथ द्विवेदी ने कही। मोहल्ला काशीनाथ में प्रेमनारायण सोनी के आवास पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के छठे दिन कथावाचक पं. सुरेंद्रनाथ द्विवेदी ने रूकमणि विवाह की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि महाराज भीष्म अपनी पुत्री रुक्मिणी का विवाह श्रीकृष्ण से करना चाहते थे, परन्तु उनका पुत्र रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था। रुक्मिणी इसके लिए राजी नहीं थीं। रुक्मणी ने संकल्प लिया था कि वह शिशुपाल को नहीं केवल नंद के लाला अर्थात श्रीकृष्ण को पति के रूप में वरण करेंगी। उन्होंने कहा शिशुपाल असत्य मार्गी है। द्वारिकाधीश भगवान श्रीकृष्ण सत्य मार्गी है। इसलिए वो असत्य को नहीं सत्य को अपनाएगी। विवाह की रस्म के अनुसार जब रुक्मिणी माता पूजन के लिए आईं तब श्रीकृष्णजी उन्हें अपने रथ में बिठा कर ले गए। तत्पश्चात रुक्मिणी का विवाह श्रीकृष्ण के साथ हुआ। ऐसी लीला भगवान के सिवाय दुनिया में कोई नहीं कर सकता। बताया कि भागवत कथा ऐसा शास्त्र है। जिसके प्रत्येक पद से रस की वर्षा होती है। इस शास्त्र को शुकदेव मुनि राजा परीक्षित को सुनाते हैं। राजा परीक्षित इसे सुनकर मरते नहीं बल्कि अमर हो जाते हैं। प्रभु की प्रत्येक लीला रास है। हमारे अंदर प्रति क्षण रास हो रहा है, सांस चल रही है तो रास भी चल रहा है, यही रास महारास है इसके द्वारा रस स्वरूप परमात्मा को नचाने के लिए एवं स्वयं नाचने के लिए प्रस्तुत करना पड़ेगा, उसके लिए परीक्षित होना पड़ेगा। जैसे गोपियां परीक्षित हो गईं। भागवत कथा को सुनकर उपस्थित श्रोता भाव विभोर हो गए। इस मौके पर प्रोमनारायण सोनी, मन्नी सोनी, शिवकुमार सोनी, संजयकुमार उर्फ संजू आदि मौजूद रहे।