कालपी जालौन सुभद्रा कुमारी चौहान ने इस कालजयी कविता ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के चरित्र को आम आदमी की जुबान पर ला दिया। सुभद्रा कुमारी चौहान के अनुसार लोगों ने हरबोलों के मुंख से ही इस वीरांगना का चरित्र चित्रण सुना अब सवाल यह उठता है कि ये हरबोले कौन थे ?काफी खोजबीन करने के बाद एक नाम सामने आया लोक विषयों के चितेरे श्याम सुन्दर दुबे।
श्याम सुन्दर दुबे के अनुसार बात अंग्रेजों के जमाने की है जब भारत के तमाम राजा महाराजा अंग्रेजों से बगावत कर आजादी की जंग के लिए तैयार हो रहे थे उस समय एक हाथ में लकड़ी का चटकोला और दूसरे हाथ में लाठी थामे कंधे पर झोली लटकाए अक्सर वह सुबह सुबह दरवाजे पर आ जाता था उसकी आने की सूचना उसकी जोरदार आवाज को सुनकर मिलती थी जो इसी तरह के गीत गाता मगन हो रास्ते से निकलता था उस समय भले ही अन्य भिक्षा मांगने वालों को लोग टरका देते थे पर इन हरबोलों को आटा जरूर देते थे।
जिस घर से ये हरबोले आटा लेते थे उस घर के छोटे बच्चे का नाम पूछते और उसे अपने गीत में जोड़कर आशीर्वाद रूप में गा देते थे हर घर में दुलार का केन्द्र बचपन ही रहता है इस लिए इसी बचपन का यशोगान सुबह सुबह इस गायक के मुख से सुनने के लिए लोग उत्सुक रहते थे।इस समुदाय का पेशा गीत गाकर भिक्षाटन करना था एक जमाने में हरबोला अल सुबह दरवाजे पर अपने गीत सुनाकर ही जगाता था। चूंकि इनके गीतों की ध्रुव पंक्ति “हर गंगे” होती है इस लिए इन्हें हरबोला नाम से सम्बोधित किया गया है।ये प्रभात बेला में न केवल प्रभु स्मरण के स्थाई आधार थे बल्कि उन बलिदानी आत्माओं के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन करने वाले भी थे जिन्होंने समाज व राष्ट्र हित में अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया।
बचपन में पढ़ी एक कविता इनका उल्लेख इस तथ्य की पुष्टि करता है कि हरबोले ही हमारी स्वतंत्रता संग्राम के संदेश को घर घर पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम रहे हैं। सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता “झांसी की रानी” हरबोलों के मुख से सुनी कहानी का जीता जागता उदाहरण हैं।
अब बात करते हैं कि सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपनी कविता में झांसी की रानी को मर्दानी कहकर क्यों सम्बोधित किया उसका मतलब से कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई में वीरता,साहस,हिम्मत,ताकत,युद्ध कौशल, घुड़सवारी, तलवार बाजी,ये सभी मर्दों वाले गुंण उनमें विद्यमान थे रानी लक्ष्मीबाई ने वीर सेनापतियों की तरह अंग्रेजों से युद्ध किया और झांसी की रक्षा करती रहीं। इसलिए कावित्री ने उन्हें मर्दानी कहा है।