कालपी

आजादी का अमृत महोत्सव जरा याद इन्हे भी करलो

कालपी (जालौन) कलित कलिन्दजा के दक्षिणी तट पर अवस्थित व्यास भूमि कालपी का साहित्यिक, सांस्कृतिक, एवं कला तथा इतिहास के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान है।यह प्राचीन नगरी अनेक वीरों साहित्यकारों, कलाकारों,समाज सुधारकों, स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों शिक्षाविदों एवं दानवीरों की जन्म एवं कर्म भूमि है।
भारतीय इतिहास में 19 वीं शताब्दी का उत्तरार्ध एवं 20 वीं शताब्दी का पूर्वार्द्ध जन जागरण की दृष्टि से विशेष महत्व का है। भारतीय जनता अपने राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए उतावली हो रही जी-जन जागरण का युग था समान जन मानस स्वतंत्रता के लिए कसमसा रहा था महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी जा रही थी बुन्देलखण्ड के प्रवेश द्वार कालपी का योगदान भारतीय स्वतंत्रता में अपना वैशिष्ट्य रखता है।
स्वनामधन्य पंडित मन्नीलाल पाण्डेय,श्री बेनी माधव तिवारी,श्री चन्द्र भानु विद्यार्थी, बाबू मोती चन्द्र वर्मा श्री मन्नी लाल अग्रवाल सहित अनेक ज्ञात अज्ञात स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की पवित्र श्रंखला का क्षेत्र है कालपी।
वैसे तो सभी श्रद्धेय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को नमन करते हैं पर आज हम एक ऐसे आजादी के दीवाने की कुछ यादें जो हमने सुनी और पढ़ीं उनको साझा करते हैं ।छोटा कद दुर्बलकाया खादी का सिलवटदार कुर्ता पैजामा और कत्थई सदरी पहने नाक पर भारी भरकम चश्मा रखें हाथों में अखबार लिए अनमने- पर समाज के रंगीन सपने में खोये कोई सज्जन नगर की संकरी बीरान गलियों में किसी दीन दुखी के साथ बोलते मिल जाते थे तो लोग समझ जाते थे यह कोई और नहीं महान जननेता मन्नी लाल अग्रवाल हैं।
फक्कण व्यक्तित्व के स्वामी बाबू जी की सुबह चाय की गरम गरम चुश्की से होती थी ।कुल्ला आप थाने में नास्ता किसी होटल में खाना नगर पालिका में शाम की चाय तहसील में बचा समय सेवा समिति में और रात किसी अधजली सिगरेट से बिताते थे। स्वतंत्रता पूर्व आप कांग्रेस के सक्रिय सिपाही थे। आजादी मिलते ही आप प्रजा समाजवादी हो गए थे।
पत्रकारिता के क्षेत्र में भी उनका कोई सानी नहीं था। उनके लिए पत्रकारिता एक मिशन था। व्यवस्था विरोधी तेवरों के लिए उनका जय हिन्द अखबार इस जनपद में बहुत चर्चित रहा।कलम के इस सिपाही ने जिले व नगर की कई राजनीतिक लड़ाइयां अपने अखबार की दम पर ही जीती थीं।जिले के आला हुक्काम इनसे भय खाते थे।
उत्तर प्रदेश में बाबू मन्नीलाल अग्रवाल शायद एक मात्र ऐसे नेता थे जिन्होंने अपनी जेल यात्रा की रजत जयंती मनाई।1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन से प्रारंभ हुई उनकी जेल यात्रा 1975 के आपातकाल तक अविराम चली।आपातकाल में 25 वीं बार जेल जाने पर राजनीतिक बंदियों ने जेलयात्रा का हक प्रतिमान बनाने के लिए उनका हार्दिक स्वागत किया था। श्री अग्रवाल जी सन 1952-1957-1964, में नगर पालिका कालपी के सभासद चुने गए।नगर पालिका की विभिन्न समितियों के आप अध्यक्ष रहे । यह लिखने का मकसद है कि वह कभी वार्ड में वोट मांगने नहीं जाते थे न एक पैसा खर्च करते थे और जिस वार्ड से चुनाव लड़ते थे जीत जाते थे।स्वतंत्रता संग्राम में आपकी भागीदारी एवं निस्प्रह सेवाओं को दृष्टि में रखकर 15 अगस्त 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने लाल किले में आपको ताम्र पत्र भेंट किया था।
अंत में इस देश के अलबेले सपूत कुल मिलाकर तमाम जिंदगी एक फकत फकीर की तरह गुजार दी कभी आपने अपने परिवार के भरण-पोषण की परवाह नहीं की । यह कार्य शायद उन्होंने अपने शुभचिंतकों अथवा अपनी पत्नी पर छोड़ दिया था उनका रोचक तकिया कलाम था “हमारे कद्दू से”।आजादी का अमृत महोत्सव पर अमर शहीद स्वतंत्रता संग्राम सैनानी बाबू मन्नी लाल अग्रवाल जी को सत सत नमन करते हैं।आज उनकी कुछ स्मृतियां लिखकर अपने को धन्य समझते हैं।

Related Articles

Back to top button