
जय-जय कारों से गुंजा नवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख पर्व
रामपुरा। नवरात्रि पर्व, माँ-दुर्गा की अवधारणा भक्ति और परमात्मा की शक्ति की पूजा का सबसे शुभ और अनोखा अवधि माना जाता है। यह पूजा वैदिक युग से पहले, प्रागैतिहासिक काल से चला आ रहा है। ऋषि के वैदिक युग के बाद से, नवरात्रि के दौरान की भक्ति प्रथाओं में से मुख्य रूप गायत्री साधना का हैं।
नवरात्रि पर्व हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान,शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है। माघ, चैत्र, आषाढ,अश्विन मास में प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों – महालक्ष्मी, महासरस्वती या सरस्वती और महाकाली के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिनके नाम और स्थान क्रमशः इस प्रकार है नन्दा देवी योगमाया (विंध्यवासिनी शक्तिपीठ), रक्तदंतिका (सथूर), माता शाकुम्भरी देवी सिद्धपीठ (सहारनपुर), दुर्गा( काशी), भीमा (पिंजौर) और भ्रामरी (भ्रमराम्बा शक्तिपीठ) नवदुर्गा कहते हैं। नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है जिसे पूरे भारत में महान उत्साह के साथ मनाया जाता है।यह
नवरात्रि पर्व मुख्य रूप से साल में 2 बार मनाया जाता है एक चैत्र मास में और दूसरा अश्विन मास में पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है और दशमी तिथि को मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के साथ समाप्त होती है .
इसी क्रम में ग्राम टिहर में ग्राम प्रधान प्रदीप कुमार गौरव के सहयोग के साथ ब माता भक्तगणों के साथ बड़ी माता मंदिर पर माता के भक्तगणों द्वारा गूंज रही है जय जयकार