कोंच

लोकतंत्र सेनानी कल्याण समिति ने मनाया काला दिवस

0 सेनानियों के घरों पर लगे काले झंडे

कोंच(जालौन)। लोकतंत्र सेनानी कल्याण समिति ने 25-26 जून की मध्य रात्रि को लोकतंत्र की हत्या को लेकर लगे आपातकाल के विरोध में काला दिवस मनाया। काली पट्टी बांधकर लोकतंत्र सेनानियों ने अपने घरों पर काले झंडे भी लगाए।कार्यक्रम की अध्यक्षता वयोवृद्ध लोकतंत्र सेनानी सियाराम आचार्य ने की। मुख्य अतिथि के रूप में जालौन नगर के रमेश चंद गुप्ता मौजूद रहे।
इस अवसर पर सियाराम आचार्य ने कहा कि देश में 1975 में 25-26 की मध्य रात्रि को आपातकाल लगाया गया था और लोगों को जेलों में ठूसकर यातनाएं दी गई थी। तब पूरा देश आक्रोशित हो गया था और इंदिरा गांधी सरकार ने लोगों को जेलों में ठूस दिया था लेकिन लोकतंत्र की रक्षा करने वाले और अब लोकतंत्र सेनानी के नाम से पहचाने जाने वाले लोगों ने संघर्ष किया वे जेलों में जाने से नहीं डरे। अत्याचार भी हुए लेकिन वे झुके नहीं और लोकतंत्र की रक्षा का व्रत लेकर संघर्ष करते रहे और विजयी होकर जेल से बाहर निकले। ठाकुर रतन सिंह व परमेश्वरी दयाल ने अपने संबोधन में कहा कि आज वही कांग्रेस लोकतंत्र की बात करती है जिसने लोकतंत्र को पैरों तले कुचल दिया था और लोगों के साथ अत्याचार व अनाचार किया तथा यातनाएं दी। बिजुआपुर के लोकतंत्र सेनानी वरिष्ठ नेता राम प्रकाश निषाद ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए आज भी हम चिंतित हैं। दल कोई भी हो जिसने भी लोकतंत्र की कमर तोड़ने की कोशिश कि हम उसके विरोध में खड़े हो जाएंगे और संघर्ष करेंगे। भले ही हम बुढ़ापे की ओर हैं लेकिन अभी भी हमारे अंदर लोकतंत्र की रक्षा करने का जज्बा है।इस मौके पर कुंजीलाल अहिरवार, पूरनलाल प्रजापति, वृंदावनलाल वर्मा सिमरिया, ओमप्रकाश खरे ने कहा कि आज का दिन हम काला दिवस के रूप मना रहे हैं और लोकतंत्र सेनानियों सरकार से मांग है कि उन्हें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की भांति दर्जा दिया जाए। विभिन्न कार्यक्रमों और राष्ट्रीय कार्यक्रमों में लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान पूर्वक बुलाया जाए और उनकी राय ली जाए। लोकतंत्र सेनानी प्रकाश याज्ञिक ने कहा कि आज काला दिवस मना कर हम उस दिन की याद कर रहे हैं जब लोकतंत्र को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया था। तब हमने आगे आकर लोकतंत्र की रक्षा करने का संकल्प लिया था। हमें यातनाएं दी गई लेकिन हम झुके नहीं और आगे भी कभी नहीं झुकेंगे। न्याय के रास्ते पर चलकर न्याय के लिए संघर्ष करते रहेंगे। इस अवसर पर भूपेंद्र सीरोठिया, देवीदीन बरार ने भी काला दिवस को हमेशा संघर्ष और न्याय के लिए लड़ने का प्रतीक बताया। लोकतंत्र सेनानी कल्याण समिति के नेता शिवराम महाजन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह दिवस काला है और यह हमेशा याद रखा जाएगा कि इस दिन लोकतंत्र की हत्या की गई थी और लोगों को जेलों में डाल कर उनको यातनाएं दी गई थी। लोकतंत्र सेनानी कल्याण समिति के जिला अध्यक्ष एड चौ बृजेंद्र मयंक ने कहा कि हम लोकतंत्र सेनानियों की आवाज उठाते रहेंगे और किसी भी लोकतंत्र सेनानी को यदि किसी प्रकार की कोई परेशानी है तो वह तत्काल समिति को सूचित करें। हमें एकता के बंधन में बने रहना है और मांगे मनवाने के लिए भी संघर्ष करना है। लोकतंत्र सेनानी चाहते हैं कि उन्हें सरकारी बैठकों में सम्मान के साथ बुलाया जाए और उनकी विभिन्न बैठकों में राय ली जाए तथा उन्हें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की भांति दर्जा दिया जाए जिससे चढ़ती उम्र में उन्हें चिकित्सा आदि सुविधाएं मिल सके और परिवार को आरक्षण प्राप्त हो सके। वृद्धावस्था में लोकतंत्र सेनानी किस तरह अपना जीवन यापन कर रहे हैं लेकिन अभी भी उनकी ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कार्यक्रम का संचालन चंद्रप्रकाश भारद्वाज ने किया।

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