0 विहिप ने लगाया आस्था से खिलवाड़ का आरोप, कार्यवाही की मांग
कदौरा (जालौन)। ब्लॉक क्षेत्र की गौशालाएं गौवंशांे की मौत को लेकर लगातार चर्चाओं में है। कुछ दिन पहले सहादतपुर रोगी, पंडौरा, बड़ागाँव, मरगांया, बवीना कठपुरवा मार्ग के वीडियो वायरल होने के बाद अब एक बार फिर पंडौरा गौशाला से मृत गौवंश को टैक्टर में बांध कर घसीट कर ले जाते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी से वायरल हो रहा है। जिससे हिंदूवादी संगठनों में आक्रोश व्याप्त है।
मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है। जिसमे पंडौरा की गौशाला से मृत गौवंश को टैªक्टर में गर्दन से बांधकर घसीट कर ले जाते हुए दिखाया जा रहा है। वीडियो वायरल होते ही ग्रामीणों ने इसकी शिकायत ब्लॉक के अधिकारियों से की। लेकिन मौके पर कोई नहीं पहुंचा। वहीं वायरल वीडियो को देखते हुए विश्व हिंदू परिषद प्रमुख मोनू पंडित ने ब्लॉक के अधिकारियों सहित कर्मचारियों पर आस्था से खिलवाड़ करने के गंभीर आरोप लगाते हुये कहा कि गौवंशों के साथ इस क्रूरता की जा रही है। गौशालाओं में सुधार के नाम पर अधिकारी सिर्फ दिखावा कर रहे हैं। उन्होंने संबंधितों पर कड़ी कार्यवाही व मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। जबकि गांव के बबलू द्विवेदी, बउआ तिवारी व दीपू ने बताया कि वीडियो सोमवार दोपहर का है। मौके पर ग्राम प्रधान व जिस सचिव को चार्ज मिला है वह भी मौके पर था।
इन पर हुई अभी तक कार्यवाही
मरगांया गौशाला के पास शवों का वीडियो वायरल होने पर हिंदूवादी संगठनों के विरोध पर चलते ग्राम विकास अधिकारी मनोज कुमार को निलंबित किया गया। जबकि मरगांया प्रधान मोनी देवी, पंडौरा प्रधान रामनारायण, कठपुरवा प्रधान कविता किरन, आटा प्रधान रामकुंवर व आटा के ग्राम विकास अधिकारी द्वारिका प्रसाद गुप्ता को नोटिस जारी कर 15 दिनों में स्पष्टीकरण देने के निर्देश डीएम ने दिए हैं।
ब्लॉक क्षेत्र में संचालित गौशालायें बनी पर्यावरण के लिए चुनौती
जनपद में चल रही अस्थायी गौशालाएं पर्यावरण में प्रदूषण फैलाने का केंद्र बन गई हैं, जबकि सीपीसीबी द्वारा डेयरी और गौशालाओ के संचालन के लिए 2020 में जारी की गई गाइडलाइंस में डेयरी, गौशालाओं के संचालन के लिए के मवेशियों के लिये पर्याप्त भूमि, आहार, आवास तथा गोबर के उचित निस्तारण के बायोगैस प्लांट के स्थापना के लिए सख्त निर्देश जारी किए गए थे। पर जनपद की अस्थायी गौशालाओ में सीपीसीबी के निर्देशों को धता बताया जा रहा है। हाल यह कि गौशालाओं में गोबर के उचित निस्तारण के लिए बायोगैस प्लांट और वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए प्लांट के निर्माण को शासन से आयी राशि को सचिव, प्रधान डकार चुके है। यही कारण है कि गोबर को महीनों के हिसाब से साफ नही किया जाता है। बारिश गोबर दलदल में बदल जाता हैं। किसानों का कहना है इन शवों को फंेकने पर नहरों के किनारे से इतनी बदबू आती हैं कि नाक बंद करके निकलना पड़ता है। गौशालाओं में रह रहे गौवंश भी क्षमता के अनुसार बहुत ही कम जमीन में गौशाला बनवाई गई हैं। बायोगैस प्लांट को भेजी गई राशि ठेकेदारों से मिलकर अधिकारियों द्वारा डकार लिया गया है जिससे गोबर का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण नहीं हो रहा हैं। गोबर को गौशाला के अंदर ही इकट्ठा किया जाता हैं जिससे भारी प्रदूषण उत्पन्न हो रहा।
फोटो परिचय—
ट्रैक्टर से घसीटकर ले जाया जाता गाय का षव।
