उरई

सीटीओ के कागजी झमेले में फंसा मृत पेंशनधारक के उत्तराधिकारी

0 नियम के अनुसार 80 साल की उम्र के बाद भी 20 फीसदी नहीं बढ़ायी गयी थी पेंशन

सत्येन्द्र सिंह राजावत

उरई (जालौन)। जिम्मेदार अधिकारी किस तरह से कागजी झमेले में फंसाकर सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त होने वाले कर्मियों को परेशन करने से नहीं चूकते इसका जीता जागता उदाहरण उस दौरान प्रकाश में आया जब एक मृत हो चुके सेवानिवृत्त कर्मचारी के उत्तराधिकारी गोल्डन प्रसाद ने अपनी बात बीती मीडिया के सामने बतायी।
गोल्डन प्रसाद ने बताया कि उनकी मां श्रीमती प्रेमलता प्रसाद 1988 में सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हो गयी थी। सरकारी कागजों में उनकी जन्म तिथि 1930 अंकित थी। 2018 में उनकी उम्र 80 साल हो गयी थी। सरकार की ओर से ऐसा नियम है कि जिस पेंशनभोगी की उम्र 80 साल हो जायेगी उसको मिलने वाली पेंशन में 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो जायेगी। लेकिन ऐसा नहीं और मेरी मां न्याय की लड़ाई लड़ती रही और उनका निधन 17 जनवरी 2021 को हो गयी। लेकिन उनके बकाया भुगतान आज तक नहीं किया गया। पीड़ित ने बताया कि यदि समय से भुगतान हो जाता तो उसके वारिसों को उत्तराधिकार प्रमाण पत्र न बनवाना पड़ता साथ ही कोर्ट फीस के लिये धन जमा न करना पड़ता। उत्तराधिकार प्रमाण सीटीओ के पास जमा करने के बाद भी भुगतान नहीं किया जा रहा है। जिससे मैं अनावश्यक रूप से इधर से उधर भटकने को मजबूर हो रहा है। पीड़ित का कहना था कि सीटीओ उसके बकाया का भुगतान क्यों नहीं कर रहे है यह बात उसकी समझ में नहीं आ रही है। जब इस संबंध में सीटीओ से जानकारी करने का प्रयास किया तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया जिससे उक्त मामले के संबंध में उनकी राय की जानकारी नहीं मिल पायी।

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