कालपी

महगाई की मार से हर कोई लाचार नहीं बचा किसी के पास कोई उपचार

कालपी (जालौन)। ‘‘सखी सइयां तो खूबई कमात हैं, महगाईं डायन खाये जात है‘‘ ये गाना 70 के दशक में लोगों को हँसाने के लिये फिल्माया गया था जिसको देख लोगों ने खूब लुफ्त उठाया लेकिन उनको क्या पता था कि ये गाना आज उनके दैनिक जीवन में शामिल होकर उनके साथ मजाक कर जायेगा और मंहगाई इतनी चरम सीमा तक पहुँचा देगा कि लोगों का सुख चैन सब कुछ छिन जायेगा। कोरोना काल के लॉकडाउन के बाद से मँहगाईं का आलम ये है कि सब्जी, फल, दूध दही जैसी खाने पीने की चीजों से लेकर दवा, पैट्रोल, डीजल, कपड़े तथा रोजमर्रा की सभी वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं जिसको खरीदने में लोगों के पसीने छूट रहे हैं तथा महिलाओं की रसोई पर भी इसका असर साफ दिख रहा है जिसको लेकर सरकार पर आरोप लगाते हुए कालपी क्षेत्रवासियों ने बताया कि आज गैस सिलेंडर का दाम एक हजार के पार हो गया है तथा पैट्रोल भी सौ के पार, ऐसे में घर गृहस्थी चलाना मुश्किल हो गया है ऊपर से सब्जी, दालें व दूध दही के दाम भी चैथे आसमान पर हैं, लोग रसोई में महगें सरसों व रिफाइंड तेल से तो पहले ही परहेज कर रहे थे लेकिन अब तो नीबू भी थाली से गायब हो गया है। इसी मँहगाईं के बीच लाखों लोगों के रोजगार भी छिन गये हैं, लोग उदासीनता के शिकार होते जा रहे हैं साथ ही अंग्रेजों की हुकूमत की तर्ज पर देश की डबल इंजन की सरकार द्वारा प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष भवन, यातायात, शिक्षा, व्यापार पर टैक्स जैसे कई कर लगाकर तथा बिजली, पानी बिल लगातार बढ़ाकर इन लाचार बेरोजगारों पर डबल हण्टर चलाते हुए अमानवीय अपराध किया जा रहा है। देश की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है, प्राइवेट स्कूल सिर्फ एक व्यापारिक संस्थान बनके रह गये हैं, सरकारी अस्पताल के मरीज एम्बुलेंस में ही दम तोड़ रहे हैं, आये दिन सड़क दुर्घटनाओं से अखवार भरे पड़े हैं, दिन पे दिन लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं जिसकी कोई सुनवाई नहीं हैं वाह से सुशासन और सुशासन की व्यवस्था। अब आपको बताना जरूरी है कि जनपद जालौन का कस्बा कालपी यमुना नदी के किनारे बसे होने कारण यहाँ की ढालू व ककरीली जमीन उतनी उपजाऊ नहीं है उस पर भी प्रतिवर्ष नदी में आने वाली बाढ़ यमुना बीहड़ पट्टी पर बसे गाँव के गाँव डुबा देती है जिससे आस पास के ग्रामीणों का सब कुछ तबाह हो जाता है जिससे क्षेत्रवासी पलायन को मजबूर हो जाते हैं और अब तो नौबत ये है कि कम पढ़े लिखे होने के कारण लॉकडाउन के बाद इनका परदेश में भी कोई ठिकाना नहीं है। इनका और इनके परिवार का भविष्य दिन पे दिन गर्त में जा रहा है ना ही इनके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल पा रही है ना ही अच्छा भविष्य जिसकी चिंता उनको खोखला करती जा रही है। ग्राम वासियों का कहना है कि बुलडोजर बाबा की सरकार में हम सुरक्षित तो हैं लेकिन जीने के लिये रोजगार चाहिये जिससे हमारा और हमारे परिवार का भरण पोषण हो सके इसलिये हम अपील करते हैं कि सरकार हमारे क्षेत्र में प्रदेश के गुंडों माफियाओं की बसूल की गयी अरबों की संपत्ति से उत्पादन फैक्ट्रियां लगवाकर हजारों लाखों लोगों को रोजगार दें तभी गुंडों माफियाओं पर बुलडोजर चलाना सार्थक होगा तथा आम जनता रोजगार के हथियार से मँहगाईं की जंग जीत पायेगी जिससे हमारा देश और हमारे देश का हर नगरिक खुशहाल होगा।

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