जालौन

प्रधान व सचिव ने मिलकर विकास कार्यों मे जमकर किया फर्जीबाड़ा

अनुराग श्रीवास्तव के साथ बबलू सिंह सेंगर महिया खास

जंालौन (उरई )। विकास खंड के ग्राम भदवां में प्रधान व सचिव ने मिलकर विकास कार्यों के नाम पर जमकर फर्जी बाड़ा किया गया। नियमों को ताख पर रख मनरेगा के जाब कार्ड धारकों को 100 ज्यादा दिनों का काम दे दिया तथा बगैर सड़क बनाये तथा पुराने जल रोधकों की मरम्मत करा कर नये जल रोधक होने का पैसा निकाल लिया।डी एम से शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई न होना गांव में चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रदेश की सरकार भले ही भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेसं की बात करती हो तथा अधीनस्थों को भ्रष्टाचार न करने की नसीहत देती हो किन्तु ग्राम प्रधान व सचिव मिलकर ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार का तड़का लगाने में नहीं चूक रहे हैं। विकास खंड के ग्राम भदवां में विकास कार्यों के नाम पर जमकर सरकारी धन की बंदरबांट हुई है तथा फर्जी बाड़ा किया गया। मजे की बात तो यह की डी एम से शिकायत के बाद कार्रवाई के नाम कुछ नहीं हुआ। प्रशासन की इस कार्यप्रणाली से सरकार की साख को बट्टा लग रहा है। पुर्व प्रधान वीर सिंह पाल ने पिछले जिलाधिकारी को शपथ पत्र देकर शिकायत की है कि गांव में रामजी के मकान से लोकेन्द्र के मकान तक सी सी निर्माण कर पैसा निकाला गया है जबकि यहां सड़क निर्माण हुआ नहीं है। गांव जल रोधक बांध के नाम कोई भी नया बांध नहीं बना है। पुराने बांधों की टीपटाप करके नये बांध दर्शा कर पैसा निकाला गया है। इसी तरह मेंड़ बंदी के नाम पर भी फर्जी बाड़ा किया गया है। डी एम को दिये शिकायती पत्र में कहा गया है मुकेश जाबकार्ड 535 का अभी तक विवाह नहीं हुआ है किन्तु उनकी पत्नी के रूप में गीता देवी का जाबकार्ड बना दिया तथा पैसा निकाला जा रहा है। यहीं हाल जाबकार्ड संख्या 482 प्रेमकुमार का है। बगैर विवाह के पत्नी के नाम जाब कार्ड बनाकर काम दिखाकर पैसा निकाला जा रहा है। इतना ही नहीं मनरेगा में एक परिवार को अधिकतम 100 दिन मजदूरी का प्रावधान है किन्तु नियमों को ताख पर रख कर सचिव ने जाबकार्ड 300 राकेश कुमार के परिवार पर 162 दिन की मजदूरी निकाली है। इसी तरह जाबकार्ड 380 मिथुन कुमार के परिवार को भी 162 दिन की मजदूरी दी गरी है। जाबकार्ड 436 नरेश कुमार के परिवार को 105 दिन की मजदूरी का भुगतान किया जा चुका है। पूर्व प्रधान वीरसिहं पाल ने जिलाधिकारी से गांव में हुए भ्रष्टाचार की खुली जांच कराने व जांच कराकर भ्रष्टाचारी सचिव व प्रधान के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर बर्बाद हुए सरकारी धन की वसूली कराने की मांग की थी। शिकायत किये हुए 3 माह से ज्यादा का समय बीत चुका है किन्तु अभी जांच के नाम खानापूर्ति भी नहीं है। जांच न होने के सचिव के हौसले बुलंद है तथा भ्रष्टाचार का तड़का लगाने मशगूल है।

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