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बिना प्रेम के ज्ञान बोझ मात्र है -भागवताचार्य गगन द्विवेदी,

अनुराग श्रीवास्तव के साथ बबलू सिंह सेंगर महिया खास

जालौन  । बिना प्रेम के ज्ञान बोझ मात्र है। ऊधो जी जो बृहस्पति के शिष्य हैं वह परम ज्ञानी हैं लेकिन उन्हें अभिमान भी है। यह बात मोहल्ला घुआताल में भागवत कथा के अंतिम दिन भागवताचार्य गगन द्विवेदी ने श्रोताओं के समक्ष कही।

मोहल्ला घुआताल में श्याम बिहारी द्विवेदी के आवास पर आयोजित भागवत कथा सप्ताह के अंतिम दिन भागवताचार्य ने ऊधो और गोपी प्रसंग कथा का श्रवण कराते हुए कहा कि गोपियों का भगवान श्रीकृष्ण से प्रेम निष्काम था। बताया कि बिना प्रेम के ज्ञान भी बोझ मात्र है। ऊधो ज्ञानी हैं लेकिन उन्हें अपने ज्ञान पर अभिमान भी है। यही अभिमान व्यक्ति के पतन का कारण बनता है। ऊधो के अभिमान को दूर करने के लिए ही श्रीकृष्ण ने ऊधो को गोपियों के पास भेजा। गोपियों के प्रेम और भक्ति को देखकर ऊधो जी का अभिमान चूर चूर हो गया। अंत में सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि जीव का सच्चा मित्र परमात्मा ही है। इसलिए ऐसा कोई कार्य न करें जिससे किसी को कष्ट पहुंचे। इस मौके पर शशिकांत द्विवेदी, बृजेश द्विवेदी, मुकेश द्विवेदी, महेंद्र तिवारी आदि मौजूद रहे।

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