4 आरोपियों को सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा, लगाया गया 22 हजार का अर्थदंड
सत्येन्द्र सिंह राजावत
उरई (जालौन)। जालौन में 23 साल पहले पिता-पुत्र के ऊपर घर में घुसकर जानलेवा हमला किया गया था। में इस हमले में पिता की मौत हो गई थी, जबकि उसका पुत्र गंभीर रूप से घायल हो गया था, इस मामले में आज जालौन की अपर जिला सत्र प्रथम के न्यायाधीश ने चार आरोपियों को दोषी मानते हुये उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, साथ ही उन पर 22 हजार रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया है।
मई 1999 में हुई थी हत्या
उरई । इस मामले की पैरवी कर रहे जालौन के अपर शासकीय अधिवक्ता मोतीलाल पाल ने बताया कि लगभग 23 साल पहले 25 मई 1999 को रेंढर थाना क्षेत्र के ग्राम दावर के रहने वाले गोपीनाथ गोस्वामी रुदावली गांव से अपनी लाइसेंसी बंदूक लेकर दोपहर 2ः30 मिनिट पर घर आए थे और बैठक में चारपाई पर लेट गये थे, उसी दौरान गांव के रहने वाले मुलु, बाबूराम पुत्रगण शिवदीन तथा देव प्रसाद पुत्र रामसनेही घर में घुस आये और अचानक कुल्हाड़ी से गोपीनाथ के ऊपर हमला बोल दिया और मारपीट करने लगे, उनकी आवाज सुनकर गोपीनाथ का पुत्र नीरज उन्हें बचाने के लिए दौडा, इसी दौरान तीनों लोगों ने नीरज के साथ भी मारपीट शुरू कर दी और कुल्हाड़ी डंडा से हमला करके मरणासन्न कर दिया। चीख-पुकार सुनकर नीरज की चाची मालती देवी पत्नी रामप्रकाश व प्रदीप कुमार उन्हें बचाने आये थे।
घटना को अंजाम देने के बाद भाग गए हमलावर
उरई । इस घटना के दौरान तीनों हमलावर का साथी मंगली पुत्र शिवपाल भी आ गया और सभी चारों लोगों ने गोपीनाथ और उनके नीरज, मालती तथा प्रदीप पर भी कुल्हाड़ी से हमलाकर घायल कर दिया, इस घटना की सूचना पुलिस को दी गई थी। पुलिस की सूचना पर यह सभी हमलावर घटना को अंजाम देने के बाद मौके से भाग गये थे। गंभीर रूप में गोपी नाथ उनके पुत्र नीरज, बहू मालती और प्रदीप को इलाज के लिए अस्पताल लाया जा रहा था, जिसमें गोपीनाथ कि रास्ते में ही मौत हो गई थी। इस मामले में नीरज द्वारा जानलेवा हमला करने वाले मल्लूज बाबुरामज देवप्रसाद और मंगली के खिलाफ हत्या, गैर इरादतन हत्या, घर में घुसकर मारपीट सहित गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कराया था।
22 हजार का लगाया गया जुर्माना
उरई । इस मामले में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी जिसके बाद इस मामले की पैरवी लगातार की गई, जहां चारों आरोपियों को 29 मार्च को दोषी करार दिया, अपर जिला सत्र के न्यायाधीश सुरेश चंद्र द्वारा दोषी करार दिया गया था, जिन्हें दोषी पाए जाने के बाद तत्काल गिरफ्तार कर लिया था, बुधवार को इन सभी आरोपियों को सजा सुनाई गई। शासकीय अधिवक्ता मोतीलाल पाल ने बताया कि अपर जिला सत्र प्रथम के न्यायाधीश सुरेश चंद्र द्वारा चारों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा के साथ उन पर 22 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। सजा सुनाए जाने के बाद सभी आरोपियों को उरई जिला कारागार भेज दिया है। 23 साल बाद आए फैसले पर परिजनों में खुशी है, कि आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा हुई है। परिजनों का कहना है 23 साल बाद ही फैसला आया हो लेकिन वह इस फैसले से संतुष्ट हैं, कि आरोपियों को सजा हुई है।