कोंच (जालौन)। सुप्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर परिसर में चल रहे श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के पंचम दिवस गुरुवार को प्रख्यात संत मलूक पीठाधीश्वर देवाचार्य राजेंद्रदास महाराज वृंदावन धाम के विशेष कृपापात्र संत दीनबंधु दास ने श्रोताओं को भगवान कृष्ण की बाललीलाओं की कथाओं का संगीतमय रसपान कराते हुए कहा कि ब्रजवासियों से गोवर्द्धन पर्वत की पूजा करा कर कृष्ण ने इंद्र का घमंड चूर चूर कर दिया। इस लीला के माध्यम से परमात्मा ने प्रकृति से प्रेम करने का भी संदेश दिया।
अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षिणी सेवा समिति के संयोजकत्व में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दौरान व्यासपीठ से बोलते हुए संत दीनबंधु दास ने बताया कि वसुदेव देवकी के सामने भगवान जब चतुर्भुज रूप में प्रकट हुए तो उनको बेटा मानने में वह सकुचाते हैं, परंतु नंद यशोदा के सामने जब नवजात बालक के रूप में प्रकट होते हैं तो नंद का भाव उनको बेटे के रूप में देखने का हो जाता है। कथा प्रवक्ता ने कहा कि जो सबको आनंद दे वही नंद है और जो यश देकर अपयश अपने ऊपर ले ले वो यशोदा है। उन्होंने नंदोत्सव, अघासुर, वकासुर, तृणावर्त, पूतना वध और महारास आदि लीलाओं का संगीतमय दर्शन उपस्थित श्रोताओं को कराया। ब्रजवासियों को इंद्र की पूजा की तैयारियां करते देख गोपाल कृष्ण ने उन्हें इंद्र के बजाए उस गोवर्द्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कहा जो जीवों के जीविकोपार्जन के लिए सब कुछ देता है। ब्रजवासियों ने कृष्ण का कहना मानकर गोवर्द्धन की पूजा की तो इंद्र ने कुपित होकर प्रलयंकारी बर्षा कर ब्रजवासियों को त्रास दिया, लेकिन कृष्ण ने अपनी कनिष्का पर गोवर्द्धन धारण कर ब्रजवासियों की रक्षा की और इंद्र का गर्व चूर किया। श्रोतागणों ने कथा का रसपान के मध्य संगीतमय भजनों पर भक्तिभाव में आनंदित होते हुए जमकर नृत्य किया। अंत में कथा परीक्षित गरिमा सुरेंद्र तिवारी ने भागवत महापुराण की आरती उतारी और प्रसाद वितरित किया गया। अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षिणी सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्योतिर्विद संजय रावत शास्त्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की कथाएं मानव मात्र को पग पग पर कर्तव्य पालन की शिक्षाएं देती हैं ताकि व्यक्ति एक आदर्श और संतुलित जीवन जीने की कला सीख सके। मंदिर प्रबंधक गोविंद शुक्ला, सचिन शुक्ला, छुट्टन शर्मा, मनीष झा, आनंद मिश्रा आदि व्यवस्थाओं में सहयोग कर रहे हैं।
फोटो परिचय—
भागवत कथा का श्रवण करती महिलायें।