कोंच

जीव का एकमात्र आश्रय परम पिता परमात्मा ही हैःपं. राघवदास

कोंच (जालौन)। नई बस्ती स्थित पूर्व सभासद बद्रीप्रसाद कुशवाहा के बगीचे में राम-जानकी मंदिर पर भक्ति और आनंद की बह रही गंगा में श्रोता भाव विभोर होकर नाचते हुए दिखाई दे रहे हैं। श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के दौरान सोमवार को कथा प्रवक्ता पं. राघवराम शास्त्री ने भगवान द्वारिकाधीश के विवाहों की आनंददायी कथाएं सुना कर श्रोता समुदाय को आनंदित किया। उन्होंने कहा कि जीव का एकमात्र आश्रय परमात्मा ही है इसलिये केवल परमात्मा पर ही विश्वास रखना चाहिए, सांसारिक बंधन तो क्षणिक और दिखावे के हैं।
श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के छठवें दिन की कथा में कथा व्यास ने भगवान द्वारिकाधीश के विवाहों की बड़ी ही रोचक और आनंददायी कथाएं सुनाईं। उन्होंने रुक्मिणी हरण की कथा काफी विस्तार से सुनाते हुए कहा कि रुक्मिणी का विवाह उनकी इच्छा के विपरीत होने बाला था लेकिन मन ही मन वे द्वारिकाधीश को अपना पति मान चुकी थीं। विवाह की तैयारियों के बीच उन्होंने द्वारिकाधीश को अपने मन का संकल्प बताते हुये संदेश भेजा और द्वारिकाधीश ने रुक्मिणी का हरण कर उनके साथ विवाह किया। भगवान द्वारिकाधीश ने सत्यभामा, कालिंद्री, जाम्बबंती आदि से भी विवाह रचाए, इस प्रकार उन्होंने सोलह हजार एक सौ आठ विवाह किए। कथा प्रवाह के दौरान उन्होंने परमात्म तत्व के बारे में बताते हुए कहा, प्राणिमात्र को संकल्पित होना चाहिए कि जो कुछ भी करना है प्रभु के लिए ही करना है क्योंकि जीव का एकमात्र आश्रय परमात्मा ही है। परमात्मा तो प्रेम का भूखा है, शुकदेवजी महाराज ने परीक्षित को बताया कि पांडवों पर भगवान ने कैसी कृपा की थी। भगवान कृष्ण स्वयं अर्जुन के सारथी बन कर रहे, महाराज युधिष्ठिर को अपना बड़ा भाई माना और उनकी हर आज्ञा का पालन करते थे। भगवान इतने दयालु हैं कि बिना बुलाए विदुर के घर पहुंच गए और विदुरानी द्वारा प्रेमातिरेक में खिलाए गए केले के छिलकों को ही प्रेमपूर्वक ग्रहण कर लिया। कथा के अंत में परीक्षित बद्रीप्रसाद कुशवाहा व उनकी पत्नी रामकटोरी ने भागवतजी की आरती उतारी, अंत में प्रसाद वितरित किया गया।
फोटो परिचय—
भागवत कथा सुनाते पं. राघवराम।

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