0 ठिठुरन भरी सर्दी में बेहाल हो रहे गौवंश, शाम को नहीं उठाया जाता गोबर
0 गंदगी में काट रहे सर्द रात, प्राशसनिक अधिकारियों की सख्त हिदायत के बाद भी जिम्मेदार लापरवाह
कदौरा (जालौन)। ब्लॉक क्षेत्र की गौशालाएं बदहाल है, इसका अंदाजा ब्लॉक मुख्यालय के करीब स्थित गौशालाओ को देखकर लगाया जा सकता है। गौवंशों को ठंड से बचाने के लिए उपाय नही किए गए है। बिछावन तो दूर गौवंशो पर बोरे की झूल तक नही डाली जा रही है। गौवंशों को ठिठुरते हुए सर्द रातें बितानी पड़ रही है। ब्लॉक क्षेत्र में 58 गौशालाएं है।
विगत दिनों हुई बारिश के कारण गौशालाओं में कीचड़ व जलभराव हो गया था। गौवंशों की हालत बद से बदतर होने की शिकायतों पर हिंदूवादी संगठनों ने डीएम व सीडीओ को मामले से अवगत कराया था। डीएम के आदेश पर नोडल सहित जिला स्तर के अधिकारियों ने आनन फानन में गौशालाओं का निरीक्षण कर व्यवस्थाएं सुधारने के आदेश बीडीओ व सचिवांे को दिए थे। मंगलवार को ब्लॉक क्षेत्र के ग्राम बागी व निस्बापुर गौशालाओं का नजारा चैंकाने वाला सामने आया। गौशालाओं में बेहतर व्यवस्था का दम भरने वाले बीडीओ, सचिव जिलाधिकारी व सीडीओ को गुमराह करने में सफल हो सकते हैं लेकिन गांव के ग्रामीणों की आंखों में धूल नहीं झोंक सकते। यही कारण है कि समय≤ पर गौशालाओं में व्याप्त अव्यवस्थाओं का पिटारा खुलता रहता है। बागी गौशाला में ठंड से बचाव के कोई इंतजाम नही है। गौवंश बगैर झूल व बिछावन के ठिठुरते नजर आए। गोबर तक नहीं उठाया गया। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि चरवाहे रात में गौवंशों को बन्द कर घर चले जाते है। इसी तरह का नजारा निस्बापुर गौशाला में देखने को मिला यहां पर गौशाला में ठंड से बीमार गौवंश पड़ा था जबकि गौशाला में अलाव आदि की व्यवस्था भी नही थी। तिरपाल भी फटा हुआ था। ठंडी हवाएं गौवंशों को बेचैन कर रही है। एक तरफ पुआल का सूखा भूसा लगा मिला।
इनसेट—
तीस रुपए प्रति गौवंश मिलता भूसे का बजट
उरई। जनपद की गौशालाओं में बंद गौवंशजों के भूसा के लिये सरकार द्वारा एक दिन एक जानवर के लिये 30 रुपए का बजट दिया जाता है। ऐसी स्थिति में यदि जिम्मेदार ईमानदारी से गौशालाओं के लिये आये बजट को खुद को गौसेवक समझकर कार्य करें तो वास्तव में गौशालाओं की दुर्दशा में बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। लेकिन यह तभी संभव है जब हर जिम्मेदार इस मामले में पारदर्शिता अपनाये औरे ऐसा होना संभव प्रतीत नहीं हो रहा है। ज्यादातर गौशालाओं में बंद गौवंशों के लिये सूखा धान का पुआल उन्हें भूसा के नाम पर खिलाया जाता है जिससे सर्द चारे को खाकर वह असमय बीमार तो होते ही है अनेकों गौवंश तो मर भी जाते हैं। इस बारे में जनपद के जिम्मेदार अधिकारियों को गंभीरता से चिंतन करने की जरूरत है। तभी ग्रामीणांचल की गौशालाओं को दुर्दशा से निजात मिल सकेगी।
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डीपीआरओ के निरीक्षण के बाद भी नहीं सुधरी स्थिति
उरई। विगत दिनों डीएम के आदेश पर दर्जनों गौशालाआंे का निरीक्षण किया गया था। जिनमें निस्बापुर व बागी गांव की गौशाला भी शामिल थी। निरीक्षण डीपीआरओ सहित नायाब तहसीलदार ने किया था। निरीक्षण के उपरांत भी गौशालाओं की स्थिति में सुधार नही हुआ। बल्कि सचिव व अन्य अधिकारी फर्जी फोटो डाल कर गुमराह कर रहे है।
इनसेट—
कार्यवाही के बाद भी नहीं हो रहा सुधार
कदौरा। गौशालाओं में बदइंतजामी व गौवंशों की मौत के मामले में मरगांया गांव के ग्राम विकास अधिकारी मनोज कुमार को डीएम के आदेश पर निलंबित किया गया। जबकि ग्राम आटा के सचिव द्वारिका प्रसाद गुप्ता को कारण बताओ नोटिस सहित मरगांया प्रधान मोनी देवी, पंडौरा प्रधान रामनारायण, कठपुरवा प्रधान कविता किरन व आटा प्रधान रामकुंअर को 95 जी के नोटिस दिए गए है। व्यवस्थाओं के नाम पर गौशालाओ में सिर्फ खानापूरी हो रही है।
फोटो परिचय—
निस्बापुर गौशाला में ठंड से बीमार गौवंश।
फोटो परिचय—
बागी गौशाला में खुले आसमान में सर्दी से ठिठुरते गौवंश।
फोटो परिचय—-
बागी गौशाला में गौवंषों के लिये रखा सूखा पुआल।