कोंच

जनतंत्र के मंदिर को बाजार बना डाला, सेवा को सियासत ने व्यापार बना डाला…..

0 बागीश्वरी साहित्य परिषद की मासिक काव्य गोष्ठी संपन्न

कोंच(जालौन)। साहित्यिक संस्था वागीश्वरी साहित्य परिषद की नए साल की पहली काव्य गोष्ठी में कवियों और साहित्यकारों ने जहां नव वर्षाभिनंदन को लेकर अपनी अनूदित रचनाएं पढ़ी वहीं मौजूदा सियासी चलन को लेकर गंभीर कटाक्ष किए। गोष्ठी के मुख्य अतिथि सुनीलकांत तिवारी ने करारा कटाक्ष करते हुए रचना पढी, ‘जनतंत्र के मंदिर को बाजार बना डाला, सेवा को सियासत ने व्यापार बना डाला।‘
श्री द्वारिकाधीश मंदिर में संस्था अध्यक्ष ओंकार नाथ पाठक की अध्यक्षता और सुनीलकांत तिवारी के मुख्य आतिथ्य में संजोई गई मासिक काव्य गोष्ठी का शुभारंभ राजेंद्र सिंह गहलौत रसिक की वाणी वंदना से हुआ। अंतरराज्यीय मंचों के अभिनंदित साहित्यकार नामचीन कवि नरेंद्र मोहन मित्र ने रचनापाठ करते हुए कहा, ‘पैदल भी आजकल यहां बनकर बजीर बैठे हैं, दो चार दोहे लिखके कितने कबीर बैठे हैं, भारत को बांटते हैं सियासत की चाल से, भिखारी भी आजकल यहां बनकर अमीर बैठे हैं।‘ ओंकार नाथ पाठक ने कहा, ‘ठिठुर रही है जनता लोग जम से थए हैं, सर्दी बहुत है अलफाज जम से गए हैं।‘ राजेंद्र सिंह रसिक ने श्रृंगार में गजल पढी, ‘मुझको तो सम्मान नहीं बस थोड़ा निर्मल प्यार चाहिए, छल से कोसों दूर रहे, वो प्यारा दिलदार चाहिए।‘ संचालन कर रहे आनंद शर्मा अखिल ने नए साल में अपेक्षा जताई, ‘कवि की भावना को नव भाव का सृजन मिले, प्रकृति की हो पल्लवित छटा स्वच्छ वातावरण मिले।‘ संतोष तिवारी सरल ने अपना आशावादी दृष्टिकोण रखा, ‘आगत का स्वागत करें गत पर करें विमर्श, दुख को छोड़ें हर जगह अपनाएं सिर्फ हर्ष।‘ नंदराम भावुक, मुन्ना यादव विजय, चंद्रप्रकाश रावत आदि ने भी रचनाएं बांचीं। इस दौरान चंद्रशेखर नगाइच मंजू, भोले अग्रवाल, राज अग्रवाल, प्रमोद अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।

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