उरई

जिला कारागार उरई का साप्ताहिक भ्रमण कर किया गया विधिक शिविर का शुभारम्भ

सत्येन्द्र सिंह राजावत

उरई(जालौन)। उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार अपर जिला जज/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती पारुल पँवार ने दिनांक 04.11.2025 को जिला कारागार उरई का साप्ताहिक भ्रमण एवं विधिक शिविर का शुभारम्भ किया। उन्होंने विभिन्न बैरकों का भ्रमण किया और वहां निरूद्ध बन्दियों से पूछ-तांछ करते हुये उनकी समस्यों को जाना समझा तथा जेल प्रशासन को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। इस मौके पर जेल प्रशासन के अधिकारीगण मौजूद थे।
निरीक्षण में अपर जिला जज/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती पारुल पँवार ने जिन बन्दियों की जमानत सक्षम न्यायालय से हो चुकी हैं किन्तु जमानतगीर न होने के कारण रिहा नहीं हो पा रहे हैं, उनकी सूची अविलम्ब जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जालौन के कार्यालय में प्रेषित किये जाने हेतु जेल प्रशासन को निर्देशित किया, जिससे कि उन बन्दियों के सम्बन्ध में प्रभावी पैरवी कर उन्हे शीघ्रता से कारागार से रिहा करवाया जा सकें एवं जिन बन्दियों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं हैं उनकी जमानत राज्य की ओर से जिला अधिकार प्राप्त समिति जालौन के माध्यम से करवायी जा सकें। बन्दियों के मुकदमों की पैरवी, उनको दी जाने वाली विधिक सहायता/सलाह और महिला बन्दी व उनके साथ रह रहे बच्चों की चिकित्सा व खान-पान इत्यादि के बारे में जाना-परखा। उन्होंने कई बन्दियों से अलग-अलग जानकारी ली एवं जेल प्रशासन को निर्देशित किया कि कोई भी ऐसा बन्दी जिसका निजी अधिवक्ता न हो अथवा विधिवत् ढंग से न्यायालयों में पैरवी न हो पा रही हो, को विधिक सहायता दिलाये जाने हेतु आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करें।
इसके उपरान्त प्ली बार्गेनिंग विषय पर विधिक साक्षरता शिविर की अध्यक्षता करते हुये अपर जिला जज/सचिव श्रीमती पारुल पँवार ने शिविर का शुभारम्भ किया। उक्त शिविर में असिस्टेंट-प्रथम एलएडीसी श्री अभिषेक पाठक ने बताया कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 39A समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को मुफ्त विधिक सहायता प्रदान करता है और सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करता है । संविधान के अनुच्छेद 14 और 22(1) भी राज्य के लिए कानून के समक्ष समानता और सभी के लिए समान अवसर के आधार पर न्याय को बढ़ावा देने वाली कानूनी व्यवस्था सुनिश्चित करना अनिवार्य बनाते हैं। साथ ही प्ली बार्गेनिंग दलील सौदेबाजी की अवधारणा इस विचार पर आधारित है कि इससे लंबी सुनवाई से बचकर न्यायालय प्रणाली के लिए समय और संसाधनों की बचत हो सकती है, तथा इससे अभियोजन पक्ष और आरोपी व्यक्ति दोनों को कुछ लाभ मिल सकता है। भारत में आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2005 के माध्यम से प्ली बार्गेनिंग की शुरुआत की गई थी। उक्त शिविर में डिप्टी चीफ, लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल सिस्टम श्री उमेश कुमार मिश्रा सहित दर्जनों बन्दीगण मौजूद रहे।
इस अवसर पर कारापाल श्री प्रदीप कुमार, चिकित्साधिकारी डॉ0 राहुल बर्मन, उपकारापाल श्री अमर सिंह व श्री रामलखन तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जालौन के लिपिक श्री शुभम् शुक्ला उपस्थित रहे।

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