बबलू सेंगर महिया खास
जालौन। शारदीय की नवरात्र के दूसरे दिन नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित देवी मंदिरों व पंडालों में देवी के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की गई। लोगों ने देवी मां से पूजा-अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की।
शारदीय नवरात्र के मौके पर नगर व ग्रामीण क्षेत्र में करीब 70 स्थानों पर देवी प्रतिमाओं की स्थापना की गई है। इसके साथ ही नगर के प्राचीन छोटी बड़ी माता मंदिर व पहाड़पुरा में स्थित मां कामांक्षा देवी मंदिर में मां शक्ति के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा नवरात्र के दूसरे दिन देवी मंदिरों पर की गई। जिसमें नगर व ग्रामीण क्षेत्र के भक्तों ने देवी मंदिरों पर पहुंचकर देवी मां को रोली चंदन, नारियल आदि चढ़ाकर पूजा अर्चना की। इस दौरान पूरा नगर जय माता दी के नारों से गुंजायमान रहा। पं. देवेन्द्र दीक्षित बताते हैं कि मां के ब्रह्मचारिणी नाम के पीछे देवी श्रीमद् भागवत पुराण में एक रोचक कथा है। जब मां शक्ति ने राजा हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया और भगवान शिव को वर स्वरूप पाने के लिए तपस्या की। देवी की तपस्वी स्वरूप के कारण ही इनका नाम बह्मचारिणी और तपश्चारिणी हुआ। मां का स्वरूप देवी सरस्वती का भी रूप माना गया है। इसलिए इनकी साधना और पूजा छात्रों के लिए बहुत भी लाभप्रद कहा जाता है। इनकी साधना से मेधा शक्ति और ज्ञान की प्राप्ति होती है। मां शक्ति के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन देवी मंदिरों पर की गई। जिसमें नगर व ग्रामीण क्षेत्र के तमाम लोगों ने देवी मंदिरों पर पहुंचकर देवी मां को रोली चंदन, नारियल आदि चढ़ाकर पूजा अर्चना की और मां से सुख समृद्धि की कामना की।



