
बबलू सेंगर महिया खास
जालौन। शनिधाम में श्रावणी पर्व पर मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान और पूजन-अर्चन का क्रम चलता रहा। इस दौरान यज्ञोपवीत संस्कार व ऋषि तर्पण कार्यक्रम आयोजित हुआ।
श्रावणी पर्व, जिसे श्रावणी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह पर्व धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। सुबह से ही मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। आचार्य पंडित दुर्गेश द्विवेदी के नेतृत्व में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन पूजन कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस दौरान ब्राह्मण समुदाय के लोगों ने यज्ञोपवीत संस्कार और ऋषि-तर्पण किया। शनिधाम मंदिर के महंत ब्रजेश महाराज ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदियों या सरोवर में स्नान कर भगवान शिव की आराधना की जाती है। इसे आत्म-शुद्धि, ज्ञान की साधना और गुरु के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर माना जाता है। श्रावणी पर्व का सामाजिक पहलू रक्षा बंधन के रूप में सामने आता है। इस दिन बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनके सुख, समृद्धि और दीर्घायु की कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहनों की रक्षा का संकल्प लेते हैं। मंदिर में मौजूद भक्तों ने धार्मिक माहौल में भजन-कीर्तन का आनंद लिया। पूरे दिन मंदिर परिसर में आस्था और उत्साह का माहौल बना रहा। कार्यक्रम में रामकुमार चतुर्वेदी, पंडित देवनारायण, अजय आचार्य, केशव आचार्य, विष्णु चतुर्वेदी, वाचस्पति मिश्रा, जेडी शुक्ला, डॉक्टर बृजेंद्र दुबे, अनुराग तिवारी, शैलेंद्र व्यास, विनय, चंद्रभान मिश्रा, सिंटू महाराज आदि मौजूद रहे।



