अनुराग श्रीवास्तव के साथ बबलू सिंह सेंगर महिया खास
जालौन (उरई)। अगर लापरवाही की बात की जाए तो चाहे आबकारी विभाग हो या फिर चाहें खाद्य विभाग अपनी लापरवाही से वह लोगों के स्वस्थ जीवन से खिलवाड़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। वहीं, प्रशासन नशा मुक्त समाज का सपना दिखाने वाली सरकारों के विपरीत कार्य करने में लगा है। गांजे पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध होने के बावजूद नशेडियों को आसानी से गांजा उपलब्ध है।
कोतवली क्षेत्र में कई गांव ऐसे हैं जहां प्रतिबंधित गांजा आसानी और सहजता से उपलब्ध हो जाता है। चाहे आप नाबालिक हो या फिर नाबालिग नशे का व्यापार करने वालों को तो सिर्फ धन से मतलब है। बड़े मजे की बात तो यह है कि गांव में गांजा मिलने बारे स्थानों पर सुबह से लेकर शाम तक गांजा पीने बालो की भीड़ लगी रहती है। आप पैसे चाहे वह चोरी करके ले आओ या किसी से मांग कर आपको गांजा, दारू सभी उपलब्ध करा दी जाएगी। प्रशासन के आला अधिकारी सब नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अपनी कुंभकरणी नींद में सोने का बहाना कर नशा माफियाओं को खुली छूट दिये हुए प्रतीत होते हैं। जिससे नशे का कारोबार करने वालों के होंसले बुलंद हैं। प्रशासन आखिर क्यों मौन है कार्रवाई के नाम पर सिर्फ लीपापोती क्यो हो रही है। यह एक यक्ष प्रश्न है। आम लोगों की जिंदगी नशे से बर्बाद हो रही है। प्रशासन को क्या पता नहीं है कि नशा के कारण आए दिन कई परिवार उजड़ जाते है। नशे के कारण कई लोग गलत कामों में लिप्त हो जाते हैं। नशे कारण घटित हुए कई केस चैकी, थाना, कोतवाली में देखने को मिल जाएंगे फिर भी प्रशासन कोई कड़ा कदम नहीं उठा रहा। अगर आपको गांजा लेना हो तो भांग की दुकान पर चले जाना जहां पर नाबालिगों से लेकर बालिगों तक की भीड़ लगी रहती है। आखिर इस सबसे से प्रशासन कब चेतेगा कब कोई कार्रवाई की जाएगी। कोई नहीं जानती। लेकिन नगर व ग्रामीण क्षेत्र की जनता ने एसपी समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से नशे का कारोबार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।