जालौन

मुकद्दस रमजान का महीना बेशुमार बरकतों वाला: मौलाना सुल्तान अहमद

अनुराग श्रीवास्तव के साथ बबलू सिंह सेंगर महिया खास

जालौन ( उरई)। मुकद्दस रमजान का हर एक लम्हा इबादत से भरा हुआ है। घरों में इबादत व तिलावत के जरिए अल्लाह को राजी किया जा रहा है, गुनाहों से माफी मांगी जा रही है। पुरुष व बच्चे महिलाओं के कामों में हाथ बंटा रहे हैं। रमजान माह का दूसरा अशरा जिसे मगफिरत का कहा जाता है समाप्त हो गया और तीसरा अशरा जहन्नुम से आजादी का शुरू हो गया।
मौलाना सुल्तान अहमद जामई ने बताया कि मुकद्दस रमजान का महीना बेशुमार बरकतों वाला है। इस महीने में रोजेदारों पर अल्लाह तआला की बेशुमार रहमतें बरसती हैं। सारे गुनाह माफ हो जाते हैं। इस महीने के तीसरे अशरे में अल्लाह तआला की इबादत करने से जहनुन्म से आजादी मिलती है। तीसरा अशरा 20वें रोजे के मगरिब से शुरू होता है जो ईद का चांद दिखाई देने तक जारी रहता है। इस असरे में मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग एतकाफ (अज्ञातवास) में बैठते हैं और दुनियावी चीजों से खुद को अलग करके सिर्फ दिन-रात अल्लाह की इबादत करते हैं। एतकाफ के लिए पुरुष मस्जिदों में पर्दा लगाकर बैठते हैं, जबकि महिलाएं घर के किसी कोने में पर्दा लगाकर बैठती हैं। एतकाफ में बैठने वालों की जायज दुआओं को अल्लाह जरूर कुबूल फरमाता है। सुब्हानी जामा मस्जिद के इमाम मौलाना शहाबुद्दीन ने बताया कि रमजान माह के आखिरी अशरे की पांच रातों में शब ए कद्र आती हैं। शब ए कद्र अल्लाह से सीधा नाता जोड़ने का जरिया है। रमजान माह के तीसरे असरे की ताक रातों यानी विषय तारीख वाली रात 21वीं, 23वीं, 25वीं रात, 27वीं रात और 29वीं रात में किसी एक रात को शब ए कद्र आती है। इनमें 27वीं रात का जिक्र ज्यादा मिलता है। कहा कि इन रातों की कद्र करते हुए रात भर इबादत करनी चाहिए। अल्लाह से रो रोकर दुआ मांगनी चाहिए। कहा कि आखिरी अशरे में अपनी इबादत को और बढ़ा दिया करें क्योंकि इस असरे के बाद पाक रमजान का माह हमशे विदा हो जाता है।

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