बबलू सिंह सेंगर महिया खास
जालौन(उरई)। विकास खंड के ग्राम अकोढ़ी दुवे व प्रतापपुरा में अंत्येष्टि स्थल विकसित न होने के चलते ग्रामीणों को बारिश के मौसम में अंत्येष्टि के लिए परेशान होना पड़ता है। ग्रामीणों को अंत्येष्टि के लिए लगभग 10 किमी दूर कुकरगांव स्थित अंत्येष्टि स्थल पर जाना पड़ता है। जिससे परिजन परेशान होते हैं। जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों से मांग करने के बावजूद गांवों में सिवाय आश्वासन के कुछ न मिला। पहाड़पुरा एवं अकोढ़ी दुवे में मरघट के लिए भूमि आरक्षित है। लेकिन मरघट की भूमि खुली पड़ी है। जिस पर कोई विकास कार्य नहीं हुआ है। न तो मरघट में शवों की अंतिम संस्कार के लिए कोई चबूतरा बना है और न ही छाया अथवा बारिश से बचाव के लिए टिन शैड लगाया गया। बाउंड्रीवाल न होने से मरघट की भूमि पर लोगों ने अतिक्रमण भी कर रखा है। ऐसे में अन्य मौसम में तो लोग जैसे तैसे अपने परिजनों की अंतिम संस्कार संपन्न कर लेते हैं। लेकिन सबसे अधिक दिक्कत बारिश के मौसम में होती है। बारिश के मौसम में मरघट में पानी भर जाता है। यदि बारिश हो रही हो तो शव दाह संस्कार भी संपन्न नहीं हो पाता है। ऐसे लोगों को मजबूरी में लगभग 10 किमी दूर कुकरगांव स्थित अंत्येष्टि स्थल पर ले जाना पड़ता है। इस समस्या से गांव के लोगों ने जनप्रतिनिधिओं को प्रशासनिक अधिकारियों को भी अवगत कराया हैं लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला है। पहाड़पुरा स्थित मरघट की भूमि करीब एक हेक्टेयर है और अकोढ़ी दुबे में मरघट की भूमि करीब 2 एकड़ अभिलेखों में दर्ज है। पर्याप्त भूमि होने के बाद भी उक्त भूमि को विकसित नहीं किया गया है, जिससे लोग परेशान हैं। ग्रामीण महाराज सिंह पाल, पवन कुशवाहा, हरू वर्मा, नरेंद्र पाल, बबलू लंबरदार, रामलला निरंजन, लालजी निरंजन, विष्णु पटेल, अरविंद पटेल, बृजेश पटेल आदि बताते हैं कि गांव में मरघट के लिए भूमि तो आरक्षित है लेकिन वहां शवों के अंतिम संस्कार के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। बारिश के मौसम में मरघट पर शवों का अंतिम संस्कार भी नहीं हो पाता है। इस समस्या के बारे में जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों से भी शिकायत की गई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पिछली पंचवर्षीय योजना में सदर विधायक की ओर से मरघट को विकसित करने के लिए 5 लाख रुपये विधायक निधि की ओर से दिए भी गए थे। लेकिन मरघट की भूमि की जब पैमाइश की गई तो उस पर अतिक्रमण मिला। प्रशासन अतिक्रमण की गई भूमि का खाली नहीं करा सका। जिसके चलते विधायक निधि से मिली धनराशि वापस लौट गई। लोगों को उम्मीद जगी थी कि उनकी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। लेकिन प्रशासन की हीलाहवाली के चलते ऐसा नहीं हो सका। अकोढ़ी दुबे मंे हालत तो यह है कि मरघट की भूमि में गांव का नाला डाल दिया गया है। जिससे नाले का पानी मरघट में ही भर जाता है।उधर, गुरूवार को पहाड़पुरा गांव के निवासी रमेश निरंजन का निधन हो गया था। जब मरघट की भूमि को देखा गया तो वहां दाह संस्कार के लिए जगह ही नहीं थी। पूरे मरघट में जलभराव था। पानी बरसने और टिन शैड की व्यवस्था न होने के चलते दाह संस्कार संभव नहीं था। ऐसे में गांव के लोगों को उन्हें अंतिम क्रिया के लिए कुकरगांव ले जाना पड़ा। जिसमें काफी परेशानी हुई। सबसे अधिक दिक्कत उन्हें होती है जिनके यहां वाहन की व्यवस्था नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि मरघट की भूमि पर शव दाह संस्कार के लिए चबूतरे एवं पानी एवं धूप से बचाव के लिए टिन शैड की व्यवस्था करा दी जाए तो लोगों की समस्याओं का काफी हद का समाधान हो सकता है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों एवं जिलाधिकारी से मांग करते हुए कहा कि जनहित में उक्त समस्या का शीघ्र समाधान किया जाए ताकि लोगों की परेशानी दूर हो सके।