जालौन

चैत्र नवरात्र के छठे दिन देवी भक्तों की मन्दिरों मे रही भीड

अनुराग श्रीवास्तव के साथ बबलू सिंह सेंगर महिया खास

जालौन (उरई)। चैत्र नवरात्र के छठे दिन देवी भक्तों ने मां कात्यायनी देवी की पूजा अर्चना की। देवी मंदिरों में सुबह से ही धार्मिक आयोजनों का दौर जारी रहा। सूर्योदय से पहले ही दर्शनार्थियों की लंबी-लंबी कतारें लगीं रहीं। कई जगह देवी जागरण के आयोजन किए गए। घंटा घड़ियाल और मां के जयकारों से देवी मंदिर गूंज उठे। श्रद्धालुओं ने उपवास रखकर अपने घरों में भी दुर्गासप्तशती का पाठ करते हुए हवन पूजन किया।
नगर के प्राचीन बड़ी माता मंदिर एवं छोटी माता मंदिर पर सुबह होते ही दर्शनार्थियों की भीड़ जुटने लगी। देखेते ही देखते महिला-पुरुषों की कतारें लग गई। दोपहर तक मां के दर्शन का सिलसिला जारी रहा। शाम को फिर दर्शनार्थियों की कतारें लंबी हो गईं। मंदिर में स्थापित भव्य देवी प्रतिमा के दर्शन को भक्तों का तांता लगा रहा। बड़ी संख्या में महिलाओं ने मंदिर में मां को प्रसाद व श्रंगार सामग्री अर्पित की। ग्रामीण क्षेत्र में देवी मंदिरों पर दिन भर भजन कीर्तन का सिलसिला जारी रहा। चैत्र नवरात्र के छठे दिन देवी भक्तों ने उपवास रखकर घर और मंदिरों में मां कात्यायनी की पूजा, अर्चना की। पं. अरविंद बाजपेई ने बताया कि माता कात्यायनी की उत्पत्ति के बारे में वामन पुराण में वर्णन आया है कि भगवान विष्णु की माया से सभी देवताओं ने अपनी ऊर्जा एकत्रित कर उसे महर्षि कात्यायन के आश्रम में रख दिया। ऋषि कात्यायन ने उस शक्तिपुंज को एक देवी का स्वरूप दिया, जिनका नाम कात्यायनी पड़ा। उस देवी को माता पार्वती ने सवारी के लिए अपना वाहन सिंह दे दिया। माता कात्यायनी ने इसी सिंह पर सवार होकर दुष्टों और राक्षसों का संहार किया। स्कंध पुराण में कहा गया है कि देवी कात्यायनी की उत्पत्ति परमपिता परमेश्वर के नैसर्गिक क्रोध के कारण हुई। कात्यायनी की पूजा, अर्चना करने से व्यक्ति को अपनी सभी इंद्रियों को वश में करने की शक्ति प्राप्त होती है। कात्यायनी मां को दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा गया है।

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