जालौन

सरकार व प्रशासन के तमाम प्रयासों के बाद भी गौशालाओं की नही सुधरी दशा

अनुराग श्रीवास्तव के साथ बबलू सिंह सेंगर महिया खास

जालौन (उरई)। सरकार व प्रशासन के तमाम प्रयासों के बाद भी गौशालाओं की दशा नहीं सुधर रही हैं। गोशालाओं में जानवरों के खाने की व्यवस्था नहीं हुई है। अव्यवस्थाओं व भूख के कारण गायों की मौत होने लगी है।ग्राम पर्वतपुरा की गौशाला में जानवरों के खाने की व्यवस्था न होने के कारण गोवंश के मरने का सिलसिला चल रहा है। विकास खंड के ग्राम पर्वतपुरा में अस्थाई गौशाला है। गोशालाओं में जानवरों के लिए हाल ही में टीन शैड लगाया गया है तथा भूसा घर का निर्माण कराया गया है।भूसाघर का निर्माण तो करा दिया गया किन्तु भूसाघर में भूसा नहीं है। भूसा न होने के कारण गायें भूख से तड़प रही है। भूख के कारण उनकी मौत हो रही है। गोशाला में बंद जानवरों कै पीने के लिए बोरिंग तो है किन्तु पीने के पानी के पिलाने की व्यवस्था नहीं है। गोशाला संचालन को लेकर प्रधान व सचिव कितने सजग है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गोशाला में भूख से 2 गायों की मौत कई दिनों पूर्व हो गयी किन्तु उनकी सुध लेने वाला नहीं है। मृत गाय कई दिनों से सड़ रही है किसी ने उन्हें उठवाने तक की जहमत नहीं उठाई। ग्रामीण नारायण, कल्लू मिश्रा, जय प्रकाश कहते हैं कि पर्वतपुरा व गणेश नगर को को मिला कर एक गोशाला चल रही है जिसमें 30-40 जानवर है। इनके भी खाने पीने की उचित व्यवस्था नहीं है। खाने के भूसा न होने के कारण तथा गर्मी में पानी पिलाने की व्यवस्था न होने के कारण जानवर परेशान हैं तथा उनकी मौत हो रही है। गायों के मरने के बाद भी जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं।

सचिव की कार्यप्रणाली को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश

जालौन ।गांव में इस समय दो सचिव की तैनाती की गई है। मनरेगा का दायित्व कनक देख रही है जबकि वित्तीय व अन्य व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी प्रवीण कुमार के पास है। ग्रामीण बताते हैं कि एक तो सचिव के गांव में आने का कोई दिन या समय निर्धारित नहीं है। फोन करो तो वह फोन नहीं उठाते हैं जिससे ग्रामीणों को दिक्कत होती है।
फोटो परिचय –मृत पड़ी गाय

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