अनुराग श्रीवास्तव के साथ बबलू सिंह सेंगर महिया खास
जालौन (उरई)। पूरे संसार में किसी को भी भरत जैसा भाई मिलना असंभव सा है। जिसकी कथनी व करनी में फर्क न हो वही श्रेष्ठ राजा होता है। यही बात प्रशासक पर भी लागू होती है कि वह जनता की सुविधाओं को ध्यान में रखकर शासन चलाए। यह बात द्वारिकाधीश मंदिर प्रांगण में आयोजित रामचरित मानस प्रवचन में सुश्री ज्योति पांडेय ने उपस्थित श्रोताओं के समक्ष कही।
श्रीमंगल मानस संघ के तत्वावधान में स्थानीय द्वारिकाधीश मंदिर प्रांगण में तीन दिवसीय रामचरित मानस प्रवचन का आयोजन किया जा रहा है। जिसके दूसरे दिन मानस कोकिला सुश्री ज्योति पांडेय ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि शास्त्रों की आज्ञानुसार गुरु वह है तो श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठम हो। श्रोत्रिय अर्थात शास्त्रों को जानने वाला हो ताकि वह हमारे जीवन की शंकाओं का समाधान कर सके एवं ब्रह्मनिष्ठम अर्थात ईश्वर की सत्ता का अनुभव करने वाला हो ताकि हमें उस परमात्मा से जोड़ दे जिसकी सत्ता सर्वत्र व्याप्त है और उस परम सत्ता का वह अनुभव करा सके। जिसकी कथनी व करनी में फर्क न हो वही श्रेष्ठ राजा होता है। यही बात आज के समय में प्रशासक पर भी लागू होती है। कहा कि जो कैकई माता भरत जैसे संत की मां हो, प्रभु राम की अति प्रिय मां हो वह संसार में निंदनीय कैसे हो सकती है। प्रभु राम की ही मर्जी के अनुसार ही उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए राजा दशरथ से दो वरदान मांगे। वरदान मांगने के बाद समाज में लोग उनकी निंदा करेंगे उनको बुरा भला कहेंगे, यह जानते हुए भी उन्होंने संसार की भलाई चाही। वहीं, भरत ने भी भ्रात प्रेम में राम की चरण पादुका को सिंहासन पर रखकर राजकाज चलाया। इस मौके पर राजेंद्र कुमार अग्रवाल, रमेश पुरवार, प्रेमनारायण सोनी, राजीव कुमार माहेश्वरी, आशुतोष कुमार, कौशल आदि मौजूद रहे।
फोटो परिचय—
प्रवचन करती ज्योति पांडेय।