अनुराग श्रीवास्तव के साथ बबलू सिंह सेंगर महिया खास
जालौन (उरई)। विश्व कल्याण की भावना से ज्ञान का सागर है सनातन धर्म। इसलिए सनातनी होने पर गर्व करें। अपनी संस्कृति को भूलें नहीं। यह बात नगर के एकमात्र सरस्वती मंदिर पर आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ में भागवताचार्य पं. राजेश द्विवेदी ने उपस्थित श्रोताओं के समक्ष कही।
नगर के एकमात्र सरस्वती मंदिर पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ में भागवताचार्य पं. राजेश द्विवेदी ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कहा कि आज के परिवेश में हिंदू सनातन धर्म कई जातियां में विभक्त होकर टूट रहा है, उसे एक सूत्र में पिरोने के लिए सनातन धर्म को जगाना होगा। सनातन धर्म को सही अर्थो में आज समझने की जरूरत है। क्योंकि जिस तरह से जनसंख्या बढ़ रही है और संसाधनों का आभाव हो रहा है, उसमें भागवान पर से आस्था का कम होना हमें सांसारिक रोगों की ओर लेकर जा रहा है। ‘जिओ और जीने दो’ की अवधारणा को अपनाने से सनातन धर्म हमें मानव कल्याण के अधिक नजदीक ले जाता है, और यही वह स्थिति होती है जब आपको परम पिता को अनुभव करने का मौका मिलता है। हम इस अमूल्य मानव जीवन को पाकर भी व्यर्थ ही गंवा देते हैं। इसलिए जागरूक हों और जान लें कि सनातन धर्म की लोक कल्याणकारी अवधारणा से ही आज की दुनिया का कल्याण संभव है। और इसके लिए आपको ठहरना होगा और मानसिक चिंतन कर मानव मात्र के कल्याण के लिए सोचना होगा। इस मौके पर पारीक्षित पुरूषोत्तम बुधौलिया, पुजारी हृदय नारायण मिश्रा, रिंकू गुप्ता, अनिल तिवारी, डाॅ. एलपी पाल, केपी सिंह, सुशील माहेश्वरी, राजेश वर्मा, रितिक पाल, बाबूजी गुर्जर, सुदामा विश्वकर्मा, कृष्णवीर सिंह आदि मौजूद रहे।