अनुराग श्रीवास्तव के साथ बबलू सिंह सेंगर महिया खास
जालौन । क्षेत्रीय ग्राम छिरिया सलेमपुर में श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के छठे दिन भगवान श्रीकृष्ण की बाललीला, रासलीला, गोवर्धन धारण एवं श्री
कृष्ण रुक्मिणी विवाह की कथा सुनाई गई।
क्षेत्रीय ग्राम छिरिया सलेमपुर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन भागवताचार्य पं. हरिओम थापक शास्त्री ने श्रृद्धालुओं को संबोधित कर कहा कि भगवान की लीलाएं मानव जीवन के लिए प्रेरणादायक हैं। भगवान कृष्ण ने बचपन में अनेक लीलाएं की। बाल कृष्ण सभी का मन मोह लिया करते थे। नटखट स्वभाव के चलते यशोदा मां के पास उनकी हर रोज शिकायत आती थी। मां उन्हें कहती थी कि प्रतिदिन तुम माखन चुरा के खाया करते हो, तो वह तुरंत मुंह खोलकर मां को दिखा दिया करते थे कि मैंने माखन नहीं खाया। शास्त्री ने कहा कि भगवान कृष्ण अपनी सखाओं और गोप-ग्वालों के साथ गोवर्धन पर्वत पर गए थे। वहां पर गोपिकाएं 56 प्रकार का भोजन रखकर नाच गाने के साथ उत्सव मना रही थीं। कृष्ण के पूछने पर उन्होंने बताया कि आज के ही दिन देवों के स्वामी इंद्र का पूजन होता है। इसे इंद्रोज यज्ञ कहते हैं। इससे प्रसन्न होकर इंद्र व्रज में वर्षा करते हैं, जिससे प्रचुर अन्न पैदा होता है। भगवान कृष्ण ने कहा कि इंद्र से अधिक शक्तिशाली तो हमारा गोवर्धन पर्वत है। इसके कारण ही वर्षा होती है, अतः हमें इंद्र से बलवान गोवर्धन की पूजा करनी चाहिए। उन्होंने श्रोताओं को भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह रुक्मिणी के साथ हुआ था। कृष्ण भगवान ने रुक्मिणी का हरण करके उनसे विवाह किया था। उन्होंने कहा कि रुक्मिणी स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नहीं सकती। जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वतः ही प्राप्त हो जाती है।