डॉक्टर समरील कुमार
हेपेटाइटिस (Hepatitis) लिवर से जुड़ी बीमारी है, जो वायरल इन्फेक्शन के कारण होती है। इस बीमारी में लीवर में सूजन आ जाती है। ज्यादातर लोग इससे ग्रसित होने पर कुछ सामय बाद ही बेहतर महसूस करने लगते जिसे एक्यूट हेपेटाइटिस कहा जाता है, लेकिन कभी-कभी इन्फेक्शन लंबे समय तक भी रह सकता है जिसे क्रोनिक हेपेटाइटिस कहा जाता है।
हेपेटाइटिस टाइप बी और सी लाखों लोगों में क्रोनिक बीमारी का कारण बन रहे हैं क्योंकि इनके कारण लीवर सिरोसिस और कैंसर होते हैं। हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता पैदा करने और जन्म के बाद बच्चे को वैक्सीन देकर उसे हेपेटाइटिस से बचाया जा सकता है। आज वर्ल्ड हेपेटाइटिस दिवस पर बुंदेलखंड के जाने-माने डॉ सरमील कुमार डाइटीशियन से चर्चा की।
*हेपेटाइटिस के कारण क्या हैं?*
वायरल इन्फेक्शन के कारण
लीवर में सूजन आ जाती है और यह एक जानलेवा इंफेक्शन है। इसके कई कारण हो सकते हैं: वायरल इन्फेक्शन, ऑटोइम्यून डिसऑर्ड, अत्यधिक शराब पीना दवाइयों का साइड इफेक्ट. गलत खानपान और गंदे पानी का सेवन।
*हेपेटाइटिस के लक्षण क्या हैं ?*
अक्यूट हेपेटाइटिस की शुरुआती स्पष्ट लक्षण नहीं दिखायी पड़ते हैं, लेकिन क्रोनिक हेपेटाइटिस में ये समस्याएं काफी स्पष्ट तरीके से दिखायी पड़ती हैं:
जॉन्डिस या पीलिया
यूरीन का रंग बदलना
बहुत अधिक थकान
उल्टी या जी मिचलाना
पेट दर्द और सूजन
पूरे शरीर पर खुजली
भूख ना लगना या कम लगना
अचानक से वज़न कम हो जाना
चेहरे पर दाग धब्बे पड़ जाते हैं जो किसी क्रीम से ठीक नहीं होते हैं आदि।
*हेपेटाइटिस का उपचार क्या है?*
अक्यूट हेपेटाइटिस कुछ हफ्ते में कम होने लगते हैं और मरीज़ को आराम मिलने लगता है। जबकि, क्रोनिक हेपेटाइटिस के लिए करेक्ट न्यूट्रिशनल डाइट के साथ-साथ दवाई लेने की ज़रूरत होती है।
*हेपेटाइटिस में डायट कैसी होनी चाहिए?*
हेल्दी डायट की मदद से हेपेटाइटिस को मैनेज करना आसान हो जाता है। हालांकि, स्थिति की गम्भीरता और लीवर की सूजन के आधार पर डाइटीशियन डायट को निर्धारित करता है। हेपेटाइटिस की स्थिति में आपको ऐसी फल सब्जियों का सेवन करना चाहिए जिनका आसानी से पाचन हो जाए। इसके अलावा वे एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर हो, जो लीवर की कोशिकाओं को नुकसान से बचाते हैं।
प्याज़, हरी धनिया, टमाटर, नींबू और लहसुन जैसे पारम्परिक मसालों को अपने भोजन में शामिल करें।
खूब पानी पीएं, पानी में ग्लूकोस मिलाकर पिए, गन्ने का जूस पिए, ताज़े फलों का जूस पीएं।
भोजन को चबा-चबाकर खाएं। इससे, भोजन पचने में आसानी होगी।
एक साथ भारी भोजन करने की बजाय कम मात्रा में हर 2 घंटे बाद भोजन करें।
*हरे पत्तों का रस*
मूली के हरे पत्ते पीलिया में फायदेमंद होते है, यह खून और लीवर से अत्यधिक बिलिरूबीन को निकाल देते हैं। अगर इसमें हरी धनिया, टमाटर, अवला और नींबू को मिला दिया जाए तो यह हेपेटाइटिस के लिए बहुत अच्छा जूस बन जाता है।
*आंवला, नींबु और पाइनएप्पल*
आवंला विटामिन सी का एक समृद्ध स्रोत है। आप आमले को कच्चा या फिर सुखा कर भी खा सकते हैं। नींबू का रस पीने से पेट साफ होता है। इसे रोज खाली पेट सुबह पीना पीलिया में लाभदायक होता है। इसके साथ पाइनएप्पल गट हेल्थ को सही रखता है।
*क्या ना खाएं*
सबसे पहले अल्कोहल का सेवन बंद करें।
जंक फूड, मैदे से बने फूड्स, प्रोसेस्ड फूड और मीठी चीज़ों के सेवन से बचें।
सैचुरेटेड और ट्रांस फैट जैसे रेड मीट, बेक किए हुए उत्पाद, होल-मिल्क व क्रीम, तली हुई चीजें से दूर रहें।
बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा ना खाएं।
और विना डाइटीशियन की सलाह से कोई विटामिन सप्लीमेंट्स भी ना लें।
जितना हो सके प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों से बचें, ये लीवर के लिए मुश्किलें पैदा करते है और इसमें पोषक तत्व भी नहीं होते।
*हेपेटाइटिस से बचाव क्या हैं?*
हेपेटाइटिस की रोकथाम वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकना है। इसके अलावा बच्चों को हेपेटाइटिस से सुरक्षित रखने के लिए वैक्सीन्स दी जा सकती हैं। सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन [ Center for Disease Control and Prevention (CDC)] के अनुसार 18 साल के उम्र तक और उससे वयस्क लोगों को 6-12 महीने में 3 डोज़ दी जानी चाहिए।
हमेशा स्वच्छ साफ सुथरा पानी पिए। गंदा अनहाइजीनिक भोजन कभी ना करें।