बबलू सिंह सेंगर महिया खास
जालौन। यदि लगन हो तो कृषि भी घाटे का सौदा नहीं है। जरूरत है तो आसपास नजर रखने और मेहनत करने की। कृषि से भी लाखों करोड़ों रुपये कमाए जा सकते हैं। ब्लॉक क्षेत्र के ग्राम सुढ़ार में युवा कृषक अंकित पटेल ने चंदन के पौधों की खेती कर किसानों को नई उम्मीदें दी हैं।
ब्लॉक क्षेत्र के किसान अक्सर दलहन और तिलहन की खेती करते हैं। कुछ किसान धान और मेंथा की भी खेती करते हैं। मेहनत कर कृषि तो करते हैं लेकिन पैदावारी अक्सर वहीं होती है कि घर खर्च चलाना मुश्किल होता है। लेकिन कृषि को यदि व्यवसाय के रूप में अपनाया गया है तो उससे भी लाखों करोड़ों कमाए जा सकते हैं। यही कुछ ब्लॉक क्षेत्र के छोटे से गांव सुढ़ार सालाबाद निवासी युवा किसान अंकित पटेल ने किया है। उन्होंने कृषि को व्यापार के तरीके से लिया है। अंकित पटेल बताते हैं कि जब खेती किसानी ही करनी है तो क्यों न ऐसा किया जाए कि उसे ही रोजगार का साधन बनाया जाए। इसके लिए वह सोच रहे थे कि कृषि में ऐसा क्या किया जाए कि उसे आमदनी का जरिया बनाया जा सके। इसी दौरान उनकी भेंट गुजरात के अहमदाबाद में चंदन ऐसोसिशन के अध्यक्ष नितिन पटेल से हुई। उनसे वार्ता करने पर समझ आया कि चंदन के पौधों की खेती कर उसे आमदनी का जरिया बनाया जा सकता है। घर आकर उन्होंने जानकारी हासिल की तो पता चला कि झांसी में चंदन के पौधे मिल सकते हैं। झांसी जाकर पता किया तो जानकारी हुई कि पौधे खरीदने में खर्च काफी आएगा और कोई गारंटी भी नहीं है। तब उन्होंने चंद्रशेखर आजाद एग्रो इंस्टीट्यूट कानपुर में संपर्क किया। उन्होंने गुजरात से पौधों को मंगवाया और लैब में परीक्षण किया गया। परीक्षण के उपरांत इंस्टीट्यूट ने पौधे देने पर हामी भरी। साथ ही बताया कि 3 साल तक यदि पौधे खराब होते हैं तो उनके स्थान पर नए पौधे दिए जाएंगे। सभी बातें तय होने के बाद उन्होंने इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षण लिया और वहां से 300 पौधे सफेद चंदन और 100 पौधे लाल चंदन के खरीदे। इसके अलावा औषधीय गुणों वाले पौधे भी खरीदे। जिनमें 300 पौधे कैजुरीना (सरू), 100 पौधे महोगिनी, 100 पौधे देशी नीम, 300 पौधे मीठी नीम, 10 कागजी नींबू, 10 सीडलेस नींबू के लगाए। जिनकी लागत करीब 80 हजार रुपये आई है। एक एकड़ में पौधों को रोपा गया है। बताया कि करीब 6 माह पहले रोपे गए पौधे 15 साल में तैयार हो जाएंगे। 15 साल में एक पेड़ की कीमत तकरीबन 5 से 6 लाख रुपये की हो जाएगी। ऐसा नहीं है कि पौधों को लगाने के बाद जमीन पर और कोई खेती नहीं की जा सकती है। पौधों को इस तरीके से लगाया गया है कि दलहन और तिलहन की फसल भी पैदा होती रहेगी। इसलिए फसल का भी कोई नुकसान नहीं है। कहा कि खेती को भी कमाई का जरिया बनाया जा सकता है। ऐसी कई फसल और काम हैं जिन्हें रोजगार के रूप में अपनाया जा सकता है। अभी हम कृषि को रोजगार नहीं मानते हैं। युवा नौकरी के पीछे भागते हैं लेकिन कृषि नहीं करना चाहते हैं। जबकि कृषि, नौकरी से अच्छी आमदनी दे सकती है। जरूरत है तो टेक्नोलॉजी और अपने आसपास नजर रखने की।