
रिपोर्ट अनुराग श्रीवास्तव संपादक सत्येन्द्र सिंह राजावत
जालौन (उरई)। नगर व ग्रामीण क्षेत्र की जनता को बेहतर यातायात व्यवस्था के लिए परिवहन विभाग द्वारा बस स्टैंड का निर्माण कराया जा रहा है। 9 माह में बन कर चालू होने वाला बस स्टैंड बार बार कम बंद होने के कारण आज भी अधूरा है। निर्माण शुरू हुए 4 वर्ष बीतने को है। इसके बाद काम रूका हुआ है फिर भी जनप्रतिनिधियों व जिम्मेदारों मूकदर्शक बने हुए हैं।
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने नगर में बस स्टैंड के लिए 2019 में नगर पालिका से अनुबंध कर बस की स्टैंड की स्थापना की नींव डाल दी थी।पहले लोकसभा चुनाव के चलते बस स्टैंड का काम शुरू नहीं हो पाया था। लगभग 13 माह के अंतराल के बाद अंततः वह समय आ ही गया जब प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 16 जुलाई 20 को नगर में चुर्खी रोड पर बन रहे परिवहन निगम के बस स्टैंड की भूमि पूजन के साथ आधारशिला रख दी थी।भूमि पूजन के भरोसा दिलाया गया था कि निर्धारित 9 माह की समय सीमा में पूरा हो जायेगा।भूमि पूजन के बाद बरसात ने काम में बाधि डाली।इसके बाद कोरोना के चलते भी काम में व्यवधान आया। इसके साथ ही ठेकेदार व कार्यदायी संस्था के साथ विभागीय अधिकारियों की उदासीनता का परिणाम यह हुआ कि 9 माह में बनने वाला बस स्टैंड 47 माह में भी अधूरा है। विधान सभा चुनाव के दौरान काम तेजी आ गयी थी।चुनाव सम्पन्न होने के बाद फिर काम में सुस्ती आ गयी तथा काम के नाम सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। परिवहन विभाग भवन निर्माण की समय सीमा 3 बार निर्धारित कर चुकी है। तीसरी बार निर्धारित समय सीमा दिसंबर 22 में समाप्त हो चुकी है। इसके बाद भी काम अधूरा पड़ा है। मजे की बात तो यह कि 9 माह में बनने वाला बस स्टैंड 4 वर्ष होने को है इसके बाद भी अधूरा है। इसके बाद भी जनप्रतिनिधियों व जिम्मेदारों इसे शीघ्र पूरा कराने में रूचि नहीं दिखाई हैं। जनप्रतिनिधियों व जिम्मेदारों की उपेक्षा को लेकर जनता में नाराजगी पनप रही है।
*3.5 करोड़ की लागत से बनेगा बस स्टैंड की बड़ी लागत*
स्थानीय बस स्टैंड का निर्माण 5700 इस्कवार वर्गमीटर में निर्माण कराया जा रहा है जिस पर लगभग 3.5 करोड़ की लागत आयेगी जिससे परिवहन निगम अपने संसाधनों से जुटाकर बनायेगी।निर्माण के कार्य में हुई देरी के चलते इबकी लागत बढ़ गयी है तथा 4 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है।
*आधा सैकड़ा बसों के संचालन की हैं योजना*
निर्माणाधीन बस स्टैंड से कानपुर, लखनऊ, गोरखपुर, आगरा, झांसी, इटावा, चित्रकूट, बरेली के साथ दिल्ली, उत्तरांचल आदि स्थानों के लिए लगभग 50 बसों के संचालन की योजना है। बाद में क्षेत्रीय जनता की मांग व आवश्यकता के इन्हें बढ़ाया जाएगा।
*क्या कहते हैं जिम्मेदार*
क्षेत्रीय प्रबंधक संतोष कुमार ने बताया कि उन्हें काम बंद होने की जानकारी नहीं है। काम अंतिम चरण में चल रहा है। शीघ्र पूरा कराने का प्रयास किया जायेगा।