जालौन

सत्संग हमें भलाई के मार्ग पर चलने के लिए करता है प्रेरित

बबलू सिंह सेंगर महिया खास

जालौन(उरई)। सत्संग हमें भलाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। भागवत कथा मनुष्य की सभी इच्छाओं को पूरा करती है। यह कल्पवृक्ष के समान है। इसके लिए मनुष्य को निर्मल भाव से कथा सुनने और सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। यह बात ग्राम पहाड़पुरा में आयोजित पंच कुंडीय श्रीरूद्र महायज्ञ में भागवताचार्य अखिलेश कुमार पाठक ने कही।
ग्राम पहाड़पुरा में पांच कुंडीय श्रीरूद्र महायज्ञ चल रहा है। यज्ञ में बड़ी संख्या में श्रृद्धालु पहुंचकर यज्ञ की परिक्रमा कर रहे हैं। यज्ञाचार्य अश्वनी कुमार पाठक द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ में आहुतियां संपन्न कराई जा रही हैं। वहीं, भागवत कथा में भागवताचार्य अखिलेश कुमार पाठक ने तीसरे दिन पारीक्षत जन्म, अनुसुइया चरित्र और सती चरित्र का वर्णन किया। उन्होंने भागवत की महिमा सुनाते हुए कहा कि एक बार नारद जी ने चारों धाम की यात्रा की, लेकिन उनके मन को शांति नहीं हुई। नारद जी वृंदावन धाम की ओर जा रहे थे, तभी उन्होंने देखा कि एक सुंदर युवती की गोद में दो बुजुर्ग लेटे हुए थे, जो अचेत थे। युवती बोली महाराज मेरा नाम भक्ति है। यह दोनों मेरे पुत्र हैं, जिनके नाम ज्ञान और वैराग्य है। यह वृंदावन में दर्शन करने जा रहे थे। लेकिन बृज में प्रवेश करते ही यह दोनों अचेत होकर वृद्ध हो गए। आप इन्हें जगा दीजिए। देवर्षि नारद ने चारों वेद, छहों शास्त्र और 8 पुराण व गीता पाठ भी सुना दिया। लेकिन वह नहीं जागे। नारद ने यह समस्या मुनियों के समक्ष रखी। ज्ञान और वैराग्य को जगाने का उपाय पूछा। मुनियों के बताने पर नारद ने हरिद्वार धाम में आनंद नामक तट पर भागवत कथा का आयोजन किया। मुनि कथा व्यास और नाटदजी मुख्य परीक्षित बने। इससे ज्ञान और वैराग्य प्रथम दिवस की ही कथा सुनकर जाग गए। उन्होंने कहा कि गलती करने के बाद क्षमा मांगना मनुष्य का गुण है, लेकिन जो दूसरे की गलती को बिना द्वेष के क्षमा कर दे, वो मनुष्य महात्मा होता है। इस मौके पर पारीक्षित विमला देवी, कोमल सिंह पाल, विनीता देवी, गुड्डी देवी, प्रियंका, भानवती, सावित्री आदि मौजूद रहीं।

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