कालपी

एक समय था जब यमुना के जल मार्ग से ही होता था देश का अधिकांश व्यापार और आवागमन

अमित गुप्ता
कालपी (जालौन) देश की राजधानी दिल्ली से लेकर प्रयागराज तक यमुना में चलतीं थीं विशालकाय तीन मंजिला नाव। साथियों आज मैं आपको एक ऐसा इतिहास बताने जा रहा हूं जिसे शायद कोई पढ़ना नहीं चाहता।मुगल शासन काल से लेकर अंग्रेजी शासन काल तक यमुना नदी ही एक ऐसी नदी थी जिसके जरिए हाथी घोड़ों के साथ यात्रियों और व्यापारियों का सामान को ढोया जाता था। आज आपको में वह बता रहा हूं जिसे मैंने पढ़ा है। उस जमाने में कालपी एक बहुत बड़ा व्यापारिक नगर था इस नगर से दिल्ली कोलकाता प्रयागराज के लिए अन्न व मसाले जैसे हल्दी धनिया और कपास चीनी की पूर्ति पूरे देश में होती थी‌।आप जानते होंगे कि कालपी नगर के राजघाट को राजघाट क्यों कहा जाता है।पीला घाट को किस लिए यह नाम मिला तो मेने जो पढ़ा वह बताते हैं राजघाट में राजा महाराजाओं के बेड़े रुकते थे जहां राजसी सामान उतारा और चढाया जाता था।पीलाघाट से बड़ी बड़ी नावों में खाद्य सामग्री लादकर दिल्ली कोलकाता प्रयागराज सहित देश के बड़े बड़े शहरों में भेजी जाती थी सबसे अधिक कालपी से हल्दी का व्यापार होता था भारी मात्रा में हल्दी डम्प होती थी जिस वजह से सम्पूर्ण घाट पीला रहता था जिसके चलते इसका नाम भी पीला घाट हो गया। कालपी हो या ताज नगरी आगरा में यमुना आज भले ही बदहाल नजर आती हो और पानी को तरसती हो लेकिन ब्रिटिश काल तक सुरक्षित यातायात और व्यापार के लिए यह सर्वथा उपयुक्त मानी जाती थी। दिल्ली से प्रयागराज तक विशालकाय नावें चला करती थीं।तीन मंजिला नावों में मनुष्य ही सफ़र नहीं किया करते थे बल्कि हाथी घोड़े भी ढोये जाते थे। मुगलों ने तो अपनी नोसेना भी बनाई थी आगरा से नावों द्वारा सैनिक वह अस्त्र-शस्त्र भेजे जाते थे।
कुछ समय पूर्व केंद्रीय सड़क परिवहन व जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी का एक बयान भी पढ़ा था जिसमें उन्होंने कहा था कि सड़क इन्फ्रास्ट्रक्चर की बड़ी परियोजनाएं तैयार की गई हैं यमुना नदी को जलमार्ग के रूप में प्रयोग करने की योजना है। उन्होंने कहा था कि जल मार्ग विकास परियोजना पर भी तेजी से कार्य चल रहा है वह दिन दूर नहीं जब यमुना नदी को जल मार्ग के रूप में उपयोग किया जायेगा। अब देखना होगा ये कहां तक और कब बनेगा।

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