जालौन

मनुष्य के मन की इच्छाओं का अंत कभी नहीं होता

जालौन(उरई)। कलियुग में वह व्यक्ति महान है, जिसे भगवान की लीला सुनने का अवसर प्राप्त होता है। जीवन में जो जैसा करता है, वैसा ही फल मिलता है। दुख तब होता है, जब किसी चीज पर हमारा मन लग जाता है। मन की इच्छाओं का अंत कभी नहीं होता है। ऐसे में राम नाम से ही मुक्ति मिलती है। यह बात लौना रोड पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन भगवताचार्य पं. शिवकांत त्रिपाठी ने कही। मोहल्ला भवानीरामलौना रोड पर रामस्वरूप श्रीवास्तव के आवास पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन भगवताचार्य पं. शिवकांत त्रिपाठी ने कहा कि यह विश्व ही भगवान की मूर्ति है, विश्व का ही व्यापक अर्थ है विष्णु। विष्णु की नाभि से ब्रह्म का जन्म हुआ और ब्रह्म के दाहिने अंग से स्वायंभुव मनु, बांए अंग से शतरूपा, इन्हीं से जड़-चेतन, स्थावर, जंगम सभी प्राणियों की उत्पत्ति हुई। तो मनु से मानव हुए इसलिए मानव भगवान के ही अंश हैं। मनुष्य यदि सद्कार्य करे तो वह फिर से भगवान में मिल सकता है। बताया कि मनुष्य धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति करने आया है। यदि इनमें से एक से भी वह वंचित रहा तो उसका मानव जीवन असफल हो जाता है। उन्होंने समुद्र मंथन से लक्ष्मी के प्रकट होने से लेकर वामन अवतार तक की कथा सुनायी। इस मौके पर पारीक्षित रामस्वरूप श्रीवास्तव, डॉ. हर्षवर्धन, यशवर्धन, तेजस, शिवि, अरूण, अजय, ललित, संदीप, संजय आदि भक्त मौजूद रहे।

Related Articles

Back to top button