कोंच(जालौन)। प्रताप नगर में डॉ मृदुल दांतरे के निवास स्थल पर चल रहे सात दिवसीय श्री शतचंडी महायज्ञ एवं विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान के दौरान पंडित संतोष त्रिपाठी ने कहा कि ग्रह शांति एवं रोग शांति के लिए श्री शतचंडी महायज्ञ अनुष्ठान आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि दुर्गा मां के पूजन पाठ से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। यदि जीवन में सुख शांति चाहिए तो मानव को नियमित दुर्गा जी की आराधना करनी चाहिए, इससे बड़े-बड़े संकट दूर हो जाते हैं। यदि मनुष्य की जन्म कुंडली में विवाह में विलंब हो रहा हो या संतान प्राप्ति में विलंब हो रहा हो तो घर में नवचंडी या शतचंडी महायज्ञ कराना चाहिए। एक पाठ में महाकाली महालक्ष्मी और महासरस्वती की प्रार्थना है यह तीनों शक्तियां ब्रह्मा विष्णु व महेश पुराण में वर्णित हैं। मन वचन कर्म से जो पाप होते हैं उनकी स्थिति से मुक्त हो जाते हैं। कलियुग में शक्ति का विशेष महत्व है। मानव मात्र को ज्ञान की वृद्धि के लिए माता सरस्वती का अर्चन करना चाहिए, भक्ति भाव से माता रानी का पूजन अर्चन करना चाहिए तो सभी प्रकार के मनोरथ अवश्य पूर्ण होंगे। वहीं महायज्ञ में पं. दिनेश मिश्रा, पं. अशोक चंसौलिया, पं. ब्रजेंद्र मिश्रा, पं. जय नारायण, पं. अनुज मिश्रा, पं. शिवाकांत, पं. अभिषेक मिश्रा, पं. आनंद मिश्रा द्वारा विधि विधान से पूजन पाठ संपन्न कराया जा रहा है। इस अवसर पर यजमान के रूप में शीला दांतरे-पुरुषोत्तम दांतरे, बृजभूषण, मीरा, पवन, डॉ. मृदुल, अभय, राहुल, सचिन दुवे, श्यामजी शर्मा उरई, मानवेंद्र पटैरिया, वासु गुप्ता, नंदकिशोर मिश्रा, डॉ. लवली दांतरे आदि मौजूद रहे।