0 सच को उजागर करने वाली खबरों पर क्यों नहीं होती कार्यवाही
0 विभागों के कारनामे उजागर करने वाली खबरें नहीं पहुंचती अधिकारियों तक
अमित गुप्ता
उरई (जालौन)। आज के समय में जहां सरकार हर उस खबर का संज्ञान लेती है जिससे किसी विभाग के काले कारनामे उजागर हो रहे हो। और उस पर शत प्रतिशत कार्यवाही भी की जाती है। चाहे वह खबर सोशल मीडिया पर ही वायरल क्यों ना हो रही हो क्योंकि खबरों के जरिए ही प्रशासन ऐसे लोगों तक पहुंचता है जो भ्रष्टाचार में लिप्त होते हैं।
इसी प्रकार जनपद जालौन के उच्चाधिकारियों द्वारा लगातार पत्रकारों की खबरों का संज्ञान लेकर कार्यवाही करते हुए देखा गया है। और यहां तक कि अगर सोशल मीडिया पर भी किसी की खबर या ऑडियो वायरल होता पाया जाता है तो उसको संज्ञान में लेकर कार्यवाही की जाती है ।और आज भी की जा रही है। लेकिन जनपद जालौन के अपर जिला सूचना अधिकारी इसके बिल्कुल विपरीत कार्य कर रहे हैं। और अगर किसी के द्वारा कोई तथ्यात्मक खबर भी प्रकाशित की जाती है तो उसको भी धमकाने से पीछे नहीं हटते। और कहते हैं कि अगर किसी के खिलाफ में खबरें प्रकाशित करोगे तो आप पर कार्रवाई कर दूंगा। इसको लेकर अपर सूचना अधिकारी द्वारा कई बार पत्रकारों को धमकाते हुए देखा गया है । और अपर सूचना अधिकारी द्वारा एक पत्रकार पर मुकदमा भी दर्ज करवाया गया। लेकिन अपर सूचना अधिकारी द्वारा उस भ्रष्टाचार पर कार्यवाही की बात करते नहीं देखा गया जिसकी खबर प्रकाशित हुई है। क्योंकि अगर कोई खबर प्रकाशित हुई है तो उसका संज्ञान लेकर उसकी जांच करवाई जाए क्योंकि यह दायित्व अपर सूचना अधिकारी का होता है। और उस खबर को जिले के उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाकर उस पर जांच करवाई जाए फिर चाहे वह खबर सोशल मीडिया पर ही क्यों ना वायरल हुई हो । क्योंकि अभिव्यक्ति की आजादी देश के हर नागरिक को होती है और सत्य को कोई भी कहीं भी उजागर कर सकता है। लेकिन शायद यह बात अपर जिला सूचना अधिकारी को नहीं मालूम । तभी तो समाचार पत्र में छपी खबर को अगर कोई सोशल मीडिया पर वायरल करता है तो यह महाशय उसको फोन पर ही धमकाने में लग जाते हैं । वही अगर विभागीय गोपनीय सूत्रों की माने तो अपर जिला सूचना अधिकारी द्वारा जिला प्रशासन को भ्रमित किया जाता है। और सच्चाई को प्रशासन से छुपाया जाता है । क्योंकि जिले के कई विभागों के कर्मचारियों से अपर जिला सूचना अधिकारी सांठगांठ कर उनके खिलाफ प्रकाशित होने वाली खबरों को दवा लेते हैं और उच्चाधिकारियों तक नहीं पहुंचने देते बल्कि इनका काम होता है कि खबर की कटिंग लगाकर अधिकारियों को प्रेषित करें जिस पर उच्च अधिकारी संज्ञान लेकर कार्रवाई कर सकें । क्योंकि शासन और प्रशासन का सूचना तंत्र सूचना विभाग होता है ।जिससे शासन प्रशासन को सूचनाएं प्राप्त होते हैं। और सूचना विभाग का सूचना तंत्र पत्रकार होते हैं । जिसके जरिए सूचना विभाग को जिले की सूचनाएं मिलती है। जिनको सूचना विभाग द्वारा जिला प्रशासन तक पहुंचाया जाता है । इसलिए सूचना विभाग में ऐसे अधिकारी को बिठाया जाता है जो की पत्रकारों से तालमेल बनाए रखें। क्योंकि पत्रकारों के अलावा सूचना विभाग को ही अधिकारियों का आंख और कान माना जाता है। क्योंकि हर जगह उच्च अधिकारी का पहुंचना संभव नहीं हो पाता लेकिन जब सूचना विभाग द्वारा किसी खबर को दवा लिया जाता है और उस पर कार्यवाही नहीं हो पाती तो लोग प्रशासन पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं । जबकि गलती अपर सूचना अधिकारी की होती है। क्योंकि जिले का प्रशासन निष्पक्ष है और जिला प्रशासन के कानों तक अगर कोई खबर पहुंचती है तो उस पर संज्ञान लेकर शत-प्रतिशत कार्यवाही की जाती है। लेकिन देखा जाए तो ऐसे ही कई मामले अपर जिला सूचना अधिकारी के हैं जो उच्चाधिकारियों के संज्ञान में नहीं है । और वह जल्द ही उच्चाधिकारियों तक पहुंच सकेंगे।