अनुराग श्रीवास्तव के साथ बबलू सिंह सेंगर महिया खास
जालौन । मां के लाड़ले श्रीकृष्ण, जिनके संपूर्ण व्यक्तित्व में मासूमियत समाई हुई है। कहते तो लोग उन्हें ईश्वर का अवतार हैं, पर वे हैं तो पूरे बालक ही। श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन कथा व्यास देवांसजी महाराज ने बडी माता मंदिर पर आयोजित श्रीमद भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन उपस्थित श्रोताओं के समक्ष किया।
नगर के बड़ी माता मंदिर परिसर पर आयोजित श्रीमद भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन कथा व्यास देवांसजी महाराज ने उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कंस को मालूम पड़ गया कि देवकी की आठवीं संतान का जन्म हो चुका है और वह गोकुल में है। इसके बाद कंस ने कई राक्षसों को कृष्ण की हत्या करने के लिए भेजे लेकिन कृष्ण ने कान्हा के रूप में इन सभी राक्षसों का वध कर दिया। स्तनपान कराकर विष देने वाली पूतना हो अथवा बवंडर का रूप धारण करने वाला तृणावर्त, गाय के बछड़े के वेष में आया वत्सासुर, बगुला रूपी बकासुर अथवा अजगर रूपी अघासुर श्रीकृष्ण ने सभी को यमलोक पहुंचा दिया। बचपन में ऊखल से बंधे होकर वृक्ष रूप में खड़े यमलार्जुन को भी उन्होंने मुक्ति दी। कहा कि मां के लाड़ले श्रीकृष्ण, जिनके संपूर्ण व्यक्तित्व में मासूमियत समाई हुई है। कहते तो लोग उन्हें ईश्वर का अवतार हैं, पर वे हैं तो पूरे बालक ही। मां की पिटाई से बचने के लिए कहते हैं-मैया मैंने माखन नहीं खाया। मां से पूछते हैं- मां राधा क्यों गोरी, मैं क्यों काला? यशोदा माता, जिन्हें अपने कान्हा से कोई शिकायत नहीं है? उन्हें अपने लल्ला को कुछ नहीं बनाना, वह जैसा है उनके लिए संपूर्ण है। यहां तक कि मुख में पूरी पृथ्वी दिखा देने, न जाने कितने मायावियों, राक्षसों का संहार कर देने के बाद भी मां यशोदा के लिए तो वे घुटने चलते लल्ला ही थे जिनका कभी किसी काम में कोई दोष नहीं होता। इस दौरान उन्होंने गोवर्धन की कथा भी सुनाई। इस मौके पर पारीक्षित भरत सक्सेना, श्रीमती प्रेमलता, रामजी महाराज, मोनू महाराज, सौरभ, रामजी, अनिल कुमार, कल्लू, दिव्याशु महाराज, दीपक मंहत, शंकर मंहत आदि भक्तों ने श्रीमद भागवत कथा का श्रवण कर जीवन में अच्छे कर्मों को अपनाने की प्रेरणा ली।