जालौन

जालौन में GST चोरी का बड़ा रैकेट, अधिकारियों की मिलीभगत से सरकार को लाखों का चूना

बबलू सेंगर महिया खास

जालौन। जालौन जिला एक बार फिर बड़े पैमाने पर हो रही जीएसटी चोरी के कारण सुर्खियों में है। एक संगठित रैकेट, जिसमें सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत के भी गंभीर आरोप लग रहे हैं, दिल्ली, गुजरात और राजस्थान से आने वाली सामग्री को बिना कर चुकाए खपा रहा है। इस अवैध कारोबार से सरकार को हर महीने लाखों रुपये का राजस्व का नुकसान हो रहा है।
शिकायतकर्ताओं के अनुसार, यह रैकेट कई तरह के सामानों पर कर चोरी कर रहा है। इनमें मध्य प्रदेश से आने वाला किराना सामान, दिल्ली और गुजरात से आने वाले कपड़े, और राजस्थान से लाया जाने वाला प्रतिबंधित गुटखा भी शामिल है। चौंकाने वाली बात यह है कि राजश्री गुटखा से भरे दर्जनों ट्रकों पर सिर्फ दो के ही राजस्व का भुगतान किया जा रहा है, जबकि बाकी करों की चोरी की जा रही है।
जांच के नाम पर उत्पीड़न और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण
शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि जब भी इस गोरखधंधे की सूचना अधिकारियों को दी जाती है, तो उन्हें ही परेशान किया जाता है। उन्हें बार-बार झांसी स्थित जीएसटी कार्यालय में बुलाया जाता है, जिससे वे मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान हों।
हाल ही में हुई एक घटना से यह आरोप और भी पुष्ट हो गया है। झांसी के संयुक्त आयुक्त राज्यकर, मनीष श्रीवास्तव, के कार्यालय से एक शिकायतकर्ता को साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए एक पत्र मिला, जिसका पत्रांक संख्या 406/2025 था। हैरानी की बात यह है कि यह पत्र उन्हें निर्धारित तिथि के पाँच दिन बाद मिला, जिससे वे समय पर उपस्थित नहीं हो सके। इस देरी को जानबूझकर किया गया कृत्य माना जा रहा है ताकि भ्रष्टाचारियों को बचाया जा सके और शिकायतकर्ता समय पर अपनी बात न रख सकें।
ईमानदार व्यापारियों में भारी आक्रोश
इस भ्रष्टाचार से स्थानीय व्यापारी समुदाय में भारी गुस्सा है। उनका कहना है कि इस तरह के अवैध रैकेट से ईमानदार व्यापारियों का मनोबल टूटता है। एक व्यापारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हम ईमानदारी से व्यापार करते हैं, लेकिन जब हम चोरी की शिकायत करते हैं तो हमें ही धमकाया जाता है। ऐसा लगता है कि अधिकारी खुद इस रैकेट का हिस्सा हैं।”
इस गंभीर मामले के बाद, जालौन की राजस्व व्यवस्था में पारदर्शिता लाने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग जोर पकड़ रही है। अब यह देखना होगा कि उच्च अधिकारी इस पर क्या कदम उठाते हैं।

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