बिना बुलाये स्त्री को अपने पिता के घर भी नही जाना चाहिए। ।।
दीपक उदैनिया
जालौन : ग्राम सिकरी राजा में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन वृन्दावन से आये कथा वाचक पं आशीष कृष्ण महाराज ने भगवान के चौबीस अवतारों की कथा के साथ-साथ समुद्र मंथन की बहुत ही रोचक एवं सारगर्भित कथा सुनाते हुए कहा कि यह संसार भगवान का एक सुंदर बगीचा है। यहां चौरासी लाख योनियों के रूप में भिन्न- भिन्न प्रकार के फूल खिले हुए हैं। जब-जब कोई अपने गलत कर्मो द्वारा इस संसार रूपी भगवान के बगीचे को नुकसान पहुंचाने की चेष्टा करता है तब-तब भगवान इस धरा धाम पर अवतार लेकर सजनों का उद्धार और दुर्जनों का संघार किया करते हैं । कथा के दौरान कथा व्यास ने सती चरित्र , ध्रुव चरित्र सहित आदि प्रसंग श्रोताओं को श्रवण कराते हुए भाव विभोर कर दिया कथा व्यास ने सति चरित्र का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि।किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे है वहां आपका, अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान हो। यदि ऐसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए। चाहे वह स्थान अपने जन्म दाता पिता का ही घर क्यों हो। कथा के दौरान सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड़ा।कथा व्यास ने प्रसंग में ध्रुव चरित्र का वर्णन सुनाते हुए कहा कि प्रभु की भक्ति का सबसे सुन्दर चरित्र ध्रुव की कथा का वर्णन है। उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। इस अवसर पर राघवेन्द्र सिंह (रज्जन) पत्नी राखी , पं दिनेश शात्री , अंकित तिवारी , रामकिशोर , एवं क्षेत्रीय श्रोताओं ने कथा का श्रवण पान कर आनंद लिया ।