0 केन्द्रीय मंत्री ने पत्र लिख जिलाधिकारी से मांगा जबाब
0 जिलाधिकारी ने चार सदसीय टीम की गठित
अनुराग श्रीवास्तव के साथ बबलू सिंह सेंगर महिया खास
जालौन (उरई)। विकास खंड कुठोंद में पौधारोपण अभियान के तहत लगाये गये पौधों के विकास के लिए गोबर खाद खरीदी गयी। पौधारोपण अभियान के तहत खरीदी गयी खाद के नाम सरकारी धन तो खर्च किया गया किन्तु खरीदी गयी खाद पौधों तक नहीं पहुंच सकी। खरीदी गयी खाद कहां गयी पता नहीं चला है। गोबर खाद के नाम पर हुए गड़बड़ी की अब जांच करायी जा रही है। 10 ग्राम पंचायतों में हुई गड़बड़ी की जांच के लिए डी एम ने 4 अधिकारियों को नामित कर जांच करने के निर्देश दिए हैं।
पौधारोपण अभियान 2021-22 में विकास खंड कुठोंद में लगभग हर ग्राम पंचायत में पौधारोपण अभियान चला कर पौधारोपण किया गया था। पौधारोपण अभियान के तहत रोपे गये पौधों के विकास के लिए उनमें गोबर खाद डालने फार्मूला तैयार किया गया। पौधों के लिए आवश्यक गोबर खाद की व्यवस्था की गयी। वैसे तो ग्राम पंचायत में संचालित गोशालाओं में पर्याप्त गैबर उपलब्ध था तथा उससे खाद तैयार हो सकती किन्तु पौधों के साथ अपना विकास भी जुड़ा था। इसलिए अधिकारियो ने गोबर खरीदने का निर्णय लिया। निर्णय के बाद स्वयं सहायता समूह डां अम्बेडकर,आर एन आर कंस्ट्रक्शन व बालाजी सप्लायर से गोबर खाद खरीदी गयी। इन आपूर्तिकर्ता संस्था ने किन किसानों व पशुपालकों से खाद खरीदी यह अभी अनसुलझी पहेली। पौधारोपण अभियान में मनरेगा के तहत खरीदी गयी खाद की आपूर्ति में अनियमितता की जानकारी क्षेत्रीय सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री भानू प्रताप वर्मा को हुई तो उन्होंने इसका सच लाने के लिए उन्होंने जिलाधिकारी को पत्र लिख दिया। केन्द्रीय मंत्री की शिकायत के बाद जिलाधिकारी मामले की छानबीन के लिए 4 अधिकारियों की टीम बना दी जो इसकी हकीकत पता लगायेगी। डी एम ने मौके पर अभिलेखों के भौतिक सत्यापन के साथ उन किसानों व पशु पालकों से बयान लेने के लिए कहा है जिनसे गोबर खाद आपूर्ति संस्था ने खरीद की है। इसके साथ ही ग्रामीणों के बयान लेने को कहा है।
जाच के दायरे में आयी 10 ग्राम पंचायतें
जालौन (उरई)। विकास खंड कुठोंद की ग्राम पंचायत बस्तेपुर, दौन, छानी अहीर, दौनापुर, गिगोरा, कैथुवा, शहजादपुरा, सिहारी चैलापुर, सिरसकलार, तरसौर में गोबर खाद के घोटाले की सम्भावना है। 10 ग्राम पंचायतों में साढ़े 4 लाख की गोबर खाद खरीदी गयी है। ग्रामीण नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि ये गोबर खाद सिर्फ कागजों तक सिमट कर रही। पेड़ों तक खाद पहुंची ही नहीं है।