अनुराग श्रीवास्तव के साथ बबलू सिंह सेंगर महिया खास
जालौन। रूस और यूक्रेन में फंसे हुए नगर के चारों छात्र सकुशल घर वापस आ चुके हैं। परिवार से मिलकर छात्र, छात्राएं खुश नजर आ रहे हैं। वहां से लौटकर छात्रों ने भरपूर नींद ली। साथ ही यूक्रेन में छात्रों की मदद करने वाले यूक्रेनवासियों को धन्यवाद भी दिया।
बीती 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया था। 24 फरवरी को तड़के करीब 4 बजे यूक्रेन की राजधानी कीव में हुए पहले धमाके से पूर्व पर यूक्रेन में सबकुछ ठीक ठाक था। लेकिन हमले के बाद स्थितियां बदल गई। एक दिन पूर्व तक जहां छात्र मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे। हमला होने के बाद सभी अपनी जान बचाने के लिए फिक्रमंद हो गए। 24 फरवरी से 28 फरवरी तक छात्र काफी परेशानी में रहे। बंकरों में उन्हें रात गुजारनी पड़ी जहां न उनके खाने न सोने का प्रबंध था। 28 फरवरी के बाद जब छात्र बॉर्डर पर पहुंचे तो उन्हें सुकून मिला। नगर की छात्रा छाया यादव जहां तीन दिन पूर्व ही अपने घर पहुंच चुकी है। तो यूक्रेन के कीव शहर से आकृति चित्रांश, खारकीव से विकास गुप्ता भी गुरूवार की देर रात अपने घर पहुंच गए। रूस में फंसे हुए आशीष बाथम भी शुक्रवार की सुबह अपने घर आ चुके हैं। चारों छात्रों के सकुशल घर पहुंचने पर परिवार के साथ ही नगर के लोग भी खुश हैं। नगर के लोगों ने छात्र, छात्राओं के घर जाकर उनका हालचाल लिया।
रूस के क्रीनिया की राजधानी सिम्फेरोपूल में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे आशीष बाथम ने बताया कि हालांकि उनके क्षेत्र में बमबारी तो नहीं हो रही थी। लेकिन यदि यूक्रेन की ओर से हमला होता तो स्थिति बिगड़ सकती थी। क्योंकि क्रीनिया 2014 तक यूक्रेन का ही हिस्सा था। बॉर्डर पर होने की वजह से यदि रूस को जिस जगह सबसे पहले नुकसान होता तो वह क्रीनिया ही होता। हालांकि रूस की ओर से उन्हें रोकने का प्रयास किया जा रहा था। लेकिन घर पर सभी लोगों के चिंतित होने के चलते उन्होंने घर लौटना ही बेहतर समझा। 28 फरवरी की सुबह वह क्रीनिया से ट्रेन द्वारा मास्को पहुंचे। जहां से 2 मार्च को शारजाह होकर गुरूवार की शाम दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे। दिल्ली से बस द्वारा नगर में पहुंचे। बेटे को घर पर देखकर मां आशा बाथम और पिता भूपेश बाथम खुश हो गए।
फोटो परिचय-उक्रेन के हालातों की जानकारी देता छात्र अशाीष